असम (Assam) के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) में वाहनों की गति का पता लगाने के रेंगाली से बोरजुरी तक फैले पार्क में सेंसर सीसीसटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाए गए हैं. वन्य क्षेत्र में वाहनों की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे तय की गई है.उद्यान में जानवारों की हादसे में मौत न हो और उनको किसी भी प्रकार की चोट न लगे इस बात को ध्यान में रखते हुये वाहनों की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटे तय की गई है.
अभ्यारण के अंदर कोई वाहन चालक 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक गाड़ी न चलाए इसके लिए रेंगाली से बोरजुरी तक फैले पार्क में सेंसर कैमरे लगाए गए हैं. पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ रमेश गोगोई ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 37 में भी वाहनों की निगरानी के लिए कैमरे लगाए गए हैं. इस राजमार्ग पर पर प्रसिद्ध एक सींग वाले गैंडे पाये जाते हैं.
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संभागीय वन अधिकारी ने कहा कि कैमरे में ऐसे रडार लगे हैं कि वह वाहनों की गति का पता लगा लेंगे. 40 किनोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक जो वाहन दौड़ेंगे उनकी नंबर प्लेट की फोटो स्वत: कैमरे में अलग से स्टोर हो जाएगी. अधिकारी ने कहा कि असम में बारिश के दिनें में जंगली जानवर जंगल से निकलकर सूखी भूमि की तलाश में NH 37 के पास आते हैं और कई हाइलैंड्स तक पहुंचने के लिए सड़क भी पार करते हैं. ऐसे में जानवरों की सुरक्षा के लिए वाहनों की स्पीड लिमिट घटाई गई है और कैमरे लगाए गये हैं.
अधिकारी ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के अनुसार, 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा से ऊपर वाहन चलाने वाले वाहन मालिकों को दंडित किया जाएगा. अधिकारी ने कहा कि इस खंड में तेज रफ्तार वाहनों पर भी दंड प्रक्रिया संहिता के एक प्रावधान के उल्लंघन के लिए मामला दर्ज किया जाएगा. प्रत्येक वाहन, जिसे विशेष रूप से अधिक गति और जानवरों को मारने या घायल करने पकड़ा जाएगा उनसे मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराध के लिए प्रति घटना ₹ 5,000 का पर्यावरणीय मुआवजा वसूला जाएगा.
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