वाराणसी : पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनेगा विश्वनाथ कॉरिडोर

विश्वनाथ कॉरिडोर में सिर्फ मंदिर परिसर ही नहीं बल्कि उसके बाहर भी दो भागों में बड़े-बड़े परिसर बनाए गए हैं जिनमें 24 इमारतें पर्यटन की दृष्टि से विकसित की जा रही हैं

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वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में विकसित किया जा रहा विश्वनाथ कॉरिडोर.
वाराणसी:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर को धार्मिक ही नहीं बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी विकसित किया गया है. सबको उम्मीद है कि एक बार ये खुल जाएगा तो यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं के अलावा सैलानी भी आएंगे. भगवान विश्वनाथ का प्रांगण अब काफ़ी बड़ा है. एक तरफ़ श्रद्धालु भजन करते हैं. दूसरी तरफ़ प्रदक्षिणा पथ पर विदेशों से आए श्रद्धालु ध्यान लगाए हुए दिखते हैं. जगह-जगह शिव की पूजा अर्चना चलती रहती है. यहां के पुजारी यहां के विकास से खुश हैं.

विश्वनाथ मंदिर के  अर्चक श्रीकांत मिश्र ने बताया कि परम शिव भक्त अहिल्याबाई होल्कर ने आज से 350 साल पहले यह वर्तमान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया था. 2000 स्क्वेयर मीटर में सिमटे हुए मंदिर में तंग गलियों से होकर लोग दर्शन करने जाते थे. बहुत कम जगह होने से यहां अशक्त, रोगी, वृद्ध पहुंच पाने में असमर्थ थे. आशीष शुभम स्थित प्रांगण में लगभग 52000 वर्ग मीटर में परिषद भवन की निर्माण हुआ है. यहां पर बैठकर जप करने वाले हैं, तप करने वाले हैं, वेद पारायण करने वाले हैं, साधना करने वाले हैं. इन सबके लिए आनंद का विषय हो गया है.

पश्चिम बंगाल से आया महेंद्र गुप्ता  का परिवार कॉरिडोर और उसके शिल्प को बहुत ध्यान से देखता रहा.  महेंद्र गुप्ता की पत्नी बनारस की इसी पुराने बसावट की है लिहाजा परिवार अक्सर यहां आता रहा है लेकिन अब ये बदलाव उन्हें अभिभूत कर रहा है. महेंद्र गुप्ता ने कहा, यहां दो साल पहले आए थे लेकिन अब आने के बाद अकल्पनीय लग रहा है. इतना सुंदर मैंने ब्लॉग और वीडियो में देखा था कि ऐसा कुछ हुआ है लेकिन यहां आने पर उसे कई गुना ज्यादा अच्छा लग रहा है. इसके पहले मंदिर का शिखर दर्शन करने में बहुत दिक्कत होती थी लेकिन अब मंदिर के शिखर से लेकर सब कुछ बहुत अच्छा लगा.

पश्चिम बंगाल के खड़गपुर की कीर्ति गुप्ता ने कहा कि मैं पांच छह बार आ चुकी हूं. मुझे लगता है कि डेवलपमेंट बहुत जरूरी है और काशी का भी डेवलपमेंट हो रहा है. कुछ भी चीज स्टेग्नेंट नहीं होना चाहिए, आगे बढ़ते रहना चाहिए. पहले यह छोटे रूप में था और अब यह बड़े रूप में हो रहा है इससे टूरिज्म बढ़ेगा. पर्यटन बढ़ेगा धक्का-मुक्की नहीं होगी और कंफर्ट लगेगा. अच्छा लग रहा है.

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इस कॉरिडोर में सिर्फ मंदिर परिसर ही नहीं बल्कि उसके बाहर भी दो भागों में बड़े-बड़े परिसर बनाए गए हैं जिनमें 24 इमारतें पर्यटन की दृष्टि से विकसित की जा रही है जिनमें म्यूजियम से लेकर कला संस्कृति और खानपान तक की व्यवस्था की गई है.

पीएसपी कम्पनी के सीएमडी पीएस पटेल ने कहा कि इस कॉरिडोर की व्यवस्था के लिए जो बिल्डिंग की जरूरत पड़ती, जैसे म्यूजियम है, वाराणसी गैलरी है, मुमुक्षु भवन है, जलपान गृह, स्प्रिचुअल बुक देख लो, वैदिक सेंटर है, शॉप है, इसको पूरा चलाने के लिए टूरिज्म में हर चीज की फैसिलिटी दी गई है. तो खाली यह दर्शनार्थी के लिए दर्शन स्थल ना रहे थोड़ा बहुत आध्यात्मिक तरीके से जुड़ा हो वह म्यूजियम जाता है. गैलरी जाता है या मुमुक्षु भवन जा कर देखता है. आप क्यों आते मुमुक्षु भवन में, वेदों का अगर उसे ज्ञान करना है उधर भी जा सकता है और अगर घूम फिरकर थककर बैठा है तो जलपान केंद्र जा सकता है.

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कॉरिडोर में रोशनी का इस तरह इंतज़ाम किया गया है कि ये कॉरिडोर दिन और रात में कई अलग-अलग रंगों में दिखेगा. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का विस्तारीकरण किया जा रहा है. धर्म और आस्था के साथ पहली बार पर्यटन के लिए विकास किया जा रहा है. यहां आने वाले श्रद्धालु और पुजारी भी कहते हैं कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

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