कुछ लोग अंग्रेजों के लिए जासूसी का काम करते थे...लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा में अखिलेश यादव

संसद में पीएम मोदी ने कहा कि 'वंदे मातरम' उस समय लिखा गया था, जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार सतर्क थी और हर स्तर पर दबाव और अत्याचार की नीतियां लागू कर रही थी. उस दौर में ब्रिटिश राष्ट्रगान 'गॉड सेव द क्वीन' को हर घर तक पहुंचाने की मुहिम चल रही थी. ऐसे समय में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी लेखनी से जवाब देते हुए 'वंदे मातरम्' लिखा और भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की.

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  • अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि वंदे मातरम केवल गाने के लिए नहीं बल्कि निभाने के लिए भी होना चाहिए
  • वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में शक्ति प्रदान की
  • पीएम मोदी ने वंदे मातरम को स्वतंत्रता आंदोलन का पर्व और भारतीयों का साझा संकल्प बताते हुए इसका महत्त्व बताया
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नई दिल्ली:

लोकसभा में ‘वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि यह सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि निभाने के लिए भी होना चाहिए. पूर्व उत्तर प्रदेश सीएम अखिलेश यादव ने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम कोई दिखावा नहीं है और इसे राजनीति का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. इसके साथ ही अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है वंदे मातरम् इन्हीं का बनवाया हुआ गाना है.

वंदे मातरम ने देश को ताकत दी

अखिलेश यादव ने संसद में आज़ादी के दौर का ज़िक्र करते हुए कहा, “सरफरोश लोग वंदे मातरम दिल से बोलते थे, वहीं कुछ लोग अंग्रेजों के लिए जासूसी का काम करते थे.” सपा प्रमुख ने कहा कि हमें उन्हें याद करना चाहिए जो हमें ऐसा गीत देकर गए, जिसने न सिर्फ लोगों को जागरूक किया बल्कि लोगों में उत्साह भी भरा. जिस समय अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही थी तब हमें वंदे मातरम ताकत देता था. हमें एकजुट करने का माध्यम बना उसके 150 साल पूरे हो रहे हैं.

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अखिलेश ने इतिहास का किया जिक्र

सपा प्रमुख ने आगे कहा कि जिस समय कलकत्ता के कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्र टेगौर ने गाना गया, उसके बाद से ये आम लोगों के बीच पहुंच गया. जब कभी भी लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ जोड़ना होता था, तब इसी से लोगों को जोड़ा जाता था. हमारा कोई भी आंदोलन रहा हो उसमें भी हम इसी नारे के साथ चले. इससे लोग इतने एकजुट हुए कि अंग्रेज घबराने लगे. इतना घबराए कि जहां भी नारा लगा वहां लोगों को जेल भेजा जाना लगा. जिस समय बंगाल में बच्चों ने इसे स्कूल में गाया तब भी उनके खिलाफ मुकदमा कर उन्हें जेल भेजा.

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पीएम मोदी ने वंदे मातरम पर क्या बोला

पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा, "बंकिम दा ने जब 'वंदे मातरम्' की रचना की तब स्वाभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का पर्व बन गया. तब पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, 'वंदे मातरम्' हर भारतीय का संकल्प बन गया. इसलिए वंदे मातरम् की स्तुति में लिखा गया था कि मातृभूमि की स्वतंत्रता की वेदी पर, मोद में स्वार्थ का बलिदान है. यह शब्द 'वंदे मातरम्' है. सजीवन मंत्र भी, विजय का विस्तृत मंत्र भी, यह शक्ति का आह्वान है, यह 'वंदे मातरम्' है. उष्ण शोणित से लिखो, वत्स स्थली को चीरकर वीर का अभिमान है यह शब्द 'वंदे मातरम्' है."

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कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बोलीं ये बात

विशेष चर्चा के दौरान सोमवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन की याद दिलाने वाला है, क्योंकि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि आजादी की लड़ाई की आत्मा था. गौरव गोगोई ने कहा, "मैं वंदे मातरम् की 150वीं जयंती पर हो रही इस अहम चर्चा में भाग ले रहा हूं. बंगाल की पवित्र भूमि में एक अद्भुत शक्ति है. यही भूमि हमें राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत, दोनों देती है. उस समय के कवियों और लेखकों ने ऐसे गीत रचे, जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत मिली."

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