वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश विवाद: 60 सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन

मेडिकल कॉलेज प्रवेश विवाद ने प्रदेश की राजनीति को भी गर्मा दिया है. बीजेपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी सहित लगभग सभी दल इस मुद्दे पर अपनी-अपनी स्थिति के साथ सामने आ गए हैं. इसे लेकर ‘आस्था का सवाल’ और ‘मेधावी छात्रों के अधिकार’ जैसे दो विपरीत तर्क सामने आ रहे हैं.

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जम्मू-कश्मीर:

जम्मू में वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में मुस्लिम छात्रों के प्रवेश को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. इस मामले को लेकर श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने 29 नवंबर से प्रदेशव्यापी शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है. इनका कहना है कि अगर जल्द ही सरकार ने दखल नहीं दिया तो यह आंदोलन 2008 के अमरनाथ भूमि आंदोलन जैसा हो जाएगा.

विरोध आंदोलन में करीब 60 सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संगठनों का यह गठबंधन जम्मू के रघुनाथ चौक पर शनिवार दोपहर 12 बजे विशाल प्रदर्शन करेगा. यह विरोध तब से शुरू हुआ, जब श्री माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में 50 में से 42 छात्रों का चयन एक ही समुदाय का हो गया. समिति का कहना है कि चूंकि संस्थान श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित व दानदाताओं के सहयोग से चलता है, इसलिए इस कॉलेज के दाखिले में स्थानीय और हिंदू समुदाय के छात्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए.

आपको बता दें कि इस साल मुस्लिम समुदाय के 42 छात्रों को एडमिशन मिला है, जबकि ग़ैर मुस्लिम छात्रों में सिर्फ़ आठ को ही दाखिला मिला है. जैसे ही यह खबर फैली तो कई हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई कि माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में 42 मुसलमानों को दाखिला कैसे मिल सकता है. जम्मू-कश्मीर बीजेपी यूनिट भी इसके खिलाफ उतर आई है. बीजेपी ने तो इसके विरोध में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तक को ज्ञापन दे दिया है, वहीं सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हिन्दू संगठनों की आपत्ति की कड़ी निंदा की है.

संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल सुखबीर सिंह मनकोटिया की अध्यक्षता में जम्मू के गीता भवन में हुई बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की गई. समिति के मुताबिक शनिवार को रघुनाथ चौक पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इससे पहले समिति के सदस्य मंदिर में पूजा-अर्चना कर आंदोलन की औपचारिक शुरुआत करेंगे.

इस आंदोलन को बेहतर तरीक़े से चलाने के लिए छह टीमें गठित की गई हैं, जो कानूनी तैयारी, धार्मिक नेताओं से संपर्क, राजनीतिक दलों से संवाद, व्यापारी संगठनों के समन्वय और छात्रों-शैक्षणिक संस्थानों व महिला समूहों तक पहुंच सुनिश्चित करेंगी. समिति की मांग है संस्थान को माइनॉरिटी का दर्जा दिया जाए. मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के जारी लिस्ट को रद्द किया जाए.

उधर मेडिकल कॉलेज प्रवेश विवाद ने प्रदेश की राजनीति को भी गर्मा दिया है. बीजेपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी सहित लगभग सभी दल इस मुद्दे पर अपनी-अपनी स्थिति के साथ सामने आ गए हैं. इसे लेकर ‘आस्था का सवाल' और ‘मेधावी छात्रों के अधिकार' जैसे दो विपरीत तर्क सामने आ रहे हैं, लेकिन इतना तो अब साफ लग रहा है कि जल्द ही यह मामला नहीं सुलझा तो इसकी आग और भी ज़्यादा फैल सकती है और कहीं यह लड़ाई जम्मू बनाम कश्मीर में ना तब्दील हो जाए.

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