आफत की आहट थी लेकिन... आपदा में कहां हुई चूक, वैष्णो देवी में चश्मदीदों ने NDTV को बताया

Vaishno Devi Landslide: एनडीटीवी से बात करते हुए आपदा के चश्मदीदों ने बताया कि पहले से अगर यात्रा को रोक लिया जाता तो हादसे से बचा जा सकता था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

जम्मू में लैंडस्लाइड से अब तक 40 से ज्यादा लोगों की मौत

फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • जम्मू में लैंडस्लाइड के चलते 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हालात गंभीर हैं
  • लोगों का कहना है कि भारी बारिश और तेज हवाओं के बावजूद प्रशासन ने तीर्थयात्रा रोकने का फैसला नहीं लिया
  • हजारों यात्री रास्ते में फंसे हुए हैं और उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं, लोग इसे लेकर शिकायत भी कर रहे हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

माता वैष्णो देवी मार्ग पर भारी लैंडस्लाइड होने के बाद हालात काफी खराब बने हुए हैं. जम्मू इलाके में अब तक 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तमाम सड़कें और रेल यातायात बंद होने के चलते हजारों यात्री अब भी रास्ते में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. फंसे हुए यात्री यहां बुनियादी सुविधाओं को लेकर शिकायत कर रहे हैं और उनका कहना है कि मदद काफी कम मिल रही है. 

चेतावनी के बावजूद चलती रही यात्रा

एनडीटीवी से बात करते हुए आपदा के चश्मदीदों ने बताया कि कैसे प्रशासन पहले से ही इसका अंदाजा नहीं लगा पाया. एक यात्री ने कहा कि अगर यात्रा पहले ही बंद कर दी जाती तो त्रासदी टल सकती थी. चश्मदीदों ने बताया कि वैष्णो देवी मार्ग पर जब भूस्खलन हुआ तब भारी बारिश और तेज हवाएं चल रही थीं. उनका कहना था कि मौसम को देखते हुए किसी भी यात्री को नहीं रोका गया, जबकि हादसे से ठीक एक दिन पहले ही भारी बारिश की चेतावनी दी गई थी. 

त्रिकुटा पर्वत को बख्श दो.. मां वैष्णो देवी गुस्से में, तपस्या न तोड़ो.. शख्स ने रोते-रोते बताया कहां हुई है भूल

सीएम अब्दुल्ला ने भी उठाए सवाल 

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी वैष्णो देवी हादसे को लेकर सवाल उठाए हैं, उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के तहत आने वाले वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद तीर्थयात्रा जारी रखने की इजाजत दी गई थी. सीएम अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमें इसके बारे में बाद में बात करनी होगी. जब हमें मौसम के बारे में पता था, तो क्या हमें उन लोगों की जान बचाने के लिए कुछ कदम नहीं उठाने चाहिए थे? मौसम की चेतावनी हमें कुछ दिन पहले ही मिल गई थी.'

अपनों की तलाश में भटक रहे परिवार

ये आपदा व्यस्त अर्धकुंवारी मार्ग पर आई थी, जो तीर्थयात्रा मार्ग के बीचों-बीच स्थित है. यहां एक भीड़भाड़ वाला विश्राम स्थल चट्टानों और मलबे की चपेट में आकर पूरी तरह से तबाह हो गया. इस हादसे में लापता हुए लोगों की तलाश अब भी जारी है और उनके परिजन इस उम्मीद में बैठे हैं कि उनके अपने जिंदा लौट जाएं. यही वजह है कि लोग अस्पताल और राहत शिविरों के चक्कर काट रहे हैं.