- मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस दाखिला मेरिट के आधार पर होना चाहिए
- भाजपा नेताओं द्वारा उठाए गए सवालों पर विवाद ने कश्मीर और जम्मू के बीच सांप्रदायिक बहस को जन्म दिया है
- पूर्व डीजीपी शेष पाल वैद ने कटरा मेडिकल कॉलेज की 70 प्रतिशत सीटें कश्मीरी छात्रों को मिलने पर सवाल उठाए थे
वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस दाखिले को लेकर विवाद पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एडमिशन मेरिट के आधार पर होना चाहिए ना कि धर्म के आधार पर. अब्दुल्ला ने इस विवाद के लिये बीजेपी पर निशाना साधा. बीजेपी के नेताओं को एक्ट पढ़ने की सलाह दी, जिसके आधार पर दाखिला मिला है. वैसे अब मामला सांप्रदायिक तूल पकड़ने लगा है. राजनीतिक दलों की सक्रियता ने इसे कश्मीर बनाम जम्मू की बहस में बदल दिया है.
भाजपा की ओर से उठाए गए सवालों पर यह भी कहा जा रहा है कि अब योग्य कश्मीरी छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों से बाहर निकालना चाहती है, जबकि वे नीट पास कर चुके हैं और फीस भी जमा कर चुके हैं. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने भी भाजपा को निशाने पर लिया. उनका कहना था कि मेडिकल साइंस जैसी संवेदनशील और तकनीकी शाखा को सांप्रदायिक चश्मे से देखने का प्रयास खतरनाक है. नीट अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा है. इसमें देश के सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी शामिल होते हैं और डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करते हैं.
विवाद की जड़ कहां से शुरू हुई?
यह विवाद उस समय उभरा जब जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी शेष पाल वैद ने दिल्ली लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद इस मुद्दे को उठाया. घटना में संदिग्ध आई-20 कार कथित तौर पर डॉ. उमर नबी के नाम पर पंजीकृत पाई गई थी. वैद ने 11 नवंबर को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि कटरा मेडिकल कॉलेज की लगभग 70% सीटें कश्मीरी छात्रों को दी गई हैं, जबकि कॉलेज को फंडिंग श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से मिलती है. उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदू श्रद्धालुओं के दान से संचालित संस्थान से पढ़े कुछ डॉक्टर देशविरोधी गतिविधियों में क्यों दिखते हैं? जिम्मेदारी किसकी है और क्या किया जाना चाहिए?
विपक्षी प्रतिक्रिया और जम्मू में विरोध प्रदर्शन
वैद के बयान पर पीडीपी के नेताओ का कहना है कि एक सम्मानित पूर्व अधिकारी का नफरत फैलाने वाला फुल-टाइम एक्टिविस्ट बन जाना दुखद है. कटरा मेडिकल कॉलेज ने नीट के सभी नियमों का पालन किया है और यह कोई अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. वहीं भाजपा नेता वैद के समर्थन में उतर आए. इसके बाद जम्मू शहर में कई हिन्दू संगठनों ने श्राइन बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन किए. बीजेपी नेताओं ने उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से भी इस मामले में दखल देने की मांग की है.
उधर श्राइन बोर्ड और विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक इस विवाद पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है. दबे स्वर मे बस यही कह रहे है जो कुछ हुआ है वह प्रकिया के तहत ही हुआ है.














