उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल (Uttarakhand Tunnel Collapse) के धंसने के बाद अंदर फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए 12 नवंबर से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. हालांकि, रेस्क्यू टीम को अभी कोई कामयाबी नहीं मिली है. गुरुवार सुबह नए सिरे से 'अमेरिकन ऑगर' (American Auger Drill) मशीन को इंस्टॉल कर रेस्क्यू का काम शुरू किया गया. इस मशीन को वायुसेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया है. मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर NDTV ने नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के प्रमुख अतुल करवाल से खास बातचीत की. इस दौरान करवाल ने कहा, "उम्मीद है कि मजदूरों को 12 से 15 घंटे के अंदर सुरक्षित निकाला जा सकता है."
करवाल ने NDTV से कहा, "अधिकारी चट्टान में छेद करके 80 मिमी यानी 3 फीट से कम का गड्ढा खोदने की प्लानिंग में हैं. ताकि मजदूर इसके जरिए रेंगते हुए टनल से बाहर आ सकें. अगर कोई मजदूर ऐसा करने में अक्षम है या घायल है, तो हम उन्हें बाहर लाने के लिए स्ट्रेचर और हार्नेस का इस्तेमाल कर सकते हैं."
टनल की छत का एक हिस्सा धंसने के बाद रविवार को शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ऊपर से मिट्टी गिरने के कारण बीच में काम रोकना पड़ा था. अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआत में मलबे की मोटाई 40 से 50 मीटर थी, जो अब 70 मीटर हो गई है.
थाईलैंड की गुफा में कैसे हुआ था 12 बच्चों और कोच का रेस्क्यू
थाईलैंड की लुआंग गुफा में हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को सबसे कठिन माना जाता है. इसमें दुनिया के सबसे बेहतरीन गोताखोरों और थाईलैंड के सील कमांडो की मदद से गुफा में 17 दिनों तक फंसे रहे 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को सुरक्षित बचा लिया गया था.
लुआंग गुफा में फंसे थे 12 बच्चे
तारीख 23 जून 2018 थी. थाईलैंड के कई इलाकों में बारिश हो रही थी. इसी दौरान 12 बच्चों की एक फुटबॉल टीम और उनके कोच प्रैक्टिस के बाद सैर करने निकले थे. उनका प्लान थाम लुआंग गुफा देखने का था. उन्हें यह नहीं पता था कि अगले ही पल मौसम अपना मिजाज बदलने वाला है. बच्चे गुफा में घूमते-घूमते काफी अंदर तक पहुंच गए. तेज बारिश के कारण गुफा के निचले हिस्से में काफी पानी भर गया. बच्चे और उनके कोच जब तक ये समझ पाते पानी ज्यादा भर जाने से गुफा से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो चुका था. इसके बाद कोच समेत सभी 12 बच्चे उसी गुफा में फंस गए थे. इन बच्चों के रेस्क्यू ऑपरेशन में 17 दिन लगे. रेस्क्यू टीम में 10,000 से ज्यादा लोग शामिल थे.