उत्तराखंड टनल हादसा: मजदूरों के रेस्क्यू के लिए उत्तरकाशी सुरंग में अब वर्टिकल ड्रिलिंग, बुलाई गई सेना

सिलक्यारा सुरंग के अंदर मलबे में फंसी ऑगर मशीन के हिस्सों को काटने और निकालने के लिए रविवार को हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर भेजा गया. 

Advertisement
Read Time: 25 mins
सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 15 मीटर की खुदाई हाथों से की जाएगी.
नई दिल्ली :

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) ने रविवार को कहा कि उत्तरकाशी (Uttarkashi) में सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को निकालने और हाथों से खुदाई शुरू करने के लिए काम जारी है, जबकि पिछले 14 दिनों से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए लम्बवत ड्रिलिंग भी शुरू हो गई है. एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए सभी प्रयास जारी हैं. हसनैन ने कहा कि दूसरा सबसे अच्छा विकल्प माने जाने वाली लम्बवत ड्रिलिंग का काम दोपहर के आसपास शुरू हुआ और 15 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. 

उन्होंने बताया कि 86 मीटर की लम्बवत ड्रिलिंग के बाद फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग की ऊपरी परत को तोड़ना होगा. एनडीएमए सदस्य ने बताया कि श्रमिकों को बचाने के लिए छह योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, लेकिन अब तक का सबसे अच्छा विकल्प क्षैतिज ड्रिलिंग है, जिसके तहत 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. 

हसनैन ने कहा कि ‘साइडवे ड्रिलिंग' (लंबवत ड्रिलिंग) करने वाली मशीनों के रात के दौरान बचाव स्थल पर पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि क्षैतिज ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को सुरंग से बाहर निकालने का काम जारी है. एनडीएमए सदस्य ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए मैग्ना और प्लाज्मा कटर मशीन का उपयोग किया जा रहा है. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि एक बार टूटे हुए हिस्सों को निकाल लेने के बाद फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 15 मीटर की खुदाई हाथों से की जाएगी, हालांकि इसमें समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि बचाव अभियान को सफल बनाने के लिये सभी संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं. 

Advertisement

सिलक्यारा सुरंग के अंदर मलबे में फंसी ऑगर मशीन के हिस्सों को काटने और निकालने के लिए रविवार को हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर भेजा गया. 

Advertisement

अधिकारियों के लिए बचाव कार्य फिर से शुरू करने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है, जिसमें श्रमिकों को निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए मलबे के माध्यम से पाइप को हाथ से धकेलना शामिल है. लंबवत ड्रिल के लिए ड्रिल मशीन का एक हिस्सा भी सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर भेजा गया है. 

Advertisement

भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह, मद्रास सैपर्स की एक इकाई, बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को साइट पर पहुंची. 

ऑगर मशीन के ब्‍लेड मलबे में फंसे 

फंसे हुए श्रमिकों को निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए सिलक्यारा सुरंग के मलबे में ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार की रात मलबे में फंस गए, जिससे अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके कारण बचाव अभियान में कई दिन या यहां तक कि हफ्तों का समय लग सकता है. 

दो विकल्‍पों पर ध्‍यान केंद्रित कर रहे अधिकारी

कई एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया - मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग' या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग'. 

12 नवंबर को ढह गया था सुरंग का एक हिस्‍सा 

गौरतलब है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं. 

ये भी पढ़ें :

* उत्तराखंड में सुरंग के पास कचरे का विशाल पहाड़ बहुत खतरनाक : विशेषज्ञ
* उत्तरकाशी सुरंग हादसा: सेना ने संभाला मोर्चा... वर्टिकल ड्रिलिंग हुई शुरू, रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन से जुड़ी प्रमुख बातें
* रोड़े पर रोड़े, बदलती जा रही टाइम लाइन : उत्तराखंड में अब तक का टनल रेस्क्यू ऑपरेशन

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Hathras Stampede: कहां है बाबा? सेवादार बोला अंदर आश्रम में, पुलिस बोली-यहां नहीं