केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों (Farmers) और पुलिस के बीच शुक्रवार को उत्तराखंड के उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar) जिले में भिड़ंत हो गई. यहां प्रदर्शनकारी किसानों को जब पुलिस ने बैरिकेड लगाकर दिल्ली जाने से रोका
तो किसानों ने बैरिकेड के ऊपर ही ट्रैक्टर चढ़ा दिया.
समाचार एजेंसी एनएनआई द्वार जारी किए गए वीडियो में प्रदर्शनकरियों की बड़ी भीड़ का पुलिस के साथ सामना होता दिख रहा है. कुछ प्रदर्शनकारी हरे रंग का एक ट्रैक्टर से बैरिकेड पर धावा बोलते हैं, उसे गिरा देते हैं और पुलिस को मजबूरन इस ट्रैक्टर के रास्ते से हटना पड़ता है.
इससे पहले किसानों के विरोध प्रदर्शन को दिल्ली तक पहुंचने से रोकने के लिए पिछले महीने हरियाणा में पुलिस द्वारा किए गए क्रूर प्रयासों की तस्वीरें भी सामने आईं थीं.
यह भी पढ़ें- 5 नाटकीय फोटो में देखें हरियाणा में पुल पर हुई पुलिस और किसानों के बीच झड़प के नजारे
तीन नए कानूनों के खिलाफ पिछले महीने से राजधानी की सीमाओं पर हजारों किसान डेरा जमाए हुए हैं, वे कहते हैं कि इन कानूनों से विनियमित बाजारों के विघटन को बढ़ावा मिलेगा. उन्हें यह भी डर है कि सरकार गारंटीकृत कीमतों पर गेहूं और चावल खरीदना बंद कर देगी, जिससे उन्हें बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ना पड़ेगा.
किसान यूनियनों ने कानूनों को निरस्त करने की मांग की है और उन्होंने अपनी इस मांग को पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता अब तक एक सफलता का उत्पादन करने में विफल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गतिरोध खत्म करने के लिए नए सिरे से बातचीत करने की पेशकश की.
यह भी पढ़ें- किसान संवाद: विपक्ष पर बरसे PM- जो लोग किसानों के नाम पर आंसू बहा रहे, तब कहां थे,जब जमीन कब्जे हो रहे थे
देश भर में लाखों किसानों के सामने एक भाषण में उन्होंने किसानों से अपनी गलतफहमियों को दूर करने की मांग की पीएम ने कहा कि ये कानून उन्हें अपनी उपज "कहीं भी और किसी को भी उन्हें" बेचने की आजादी देगा.
इस बड़ी संख्या में विरोध करने वाले किसान पंजाब और हरियाणा से हैं, लेकिन उनकी मांग को उत्तराखंड सहित देश के अन्य हिस्सों में किसानों का समर्थन मिला है. 70 के दशक के राज्य के प्रसिद्ध संरक्षण अभियान चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन दिया.