उत्तराखंड में गजब का घोटाला, सरस्वती शिशु मंदिर और संस्कृत स्कूलों के छात्रों के नाम पर बंटी अल्पसंख्यक छात्रव

17 संस्थाओं के खिलाफ जांच की गई और जिसमें पाया गया कि इन संस्थानों में छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा किया गया है. प्राथमिक जांच में भी यही पाया गया की छात्रवृत्ति का गबन किया गया है.

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उत्तराखंड अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सीएम ने एसआईटी जांच के आदेश दिए.
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  • उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति वितरण में घोटाले का मामला सामने आया है.
  • राज्य के 17 संस्थानों में छात्रवृत्ति घोटाले की पुष्टि हुई है, जिसमें फर्जीवाड़ा शामिल है.
  • जांच में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के छात्रों के नाम पर भी छात्रवृत्ति बांटी गई है.
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Uttarakhand Minority Scholarship Scam: केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति के वितरण में घोटाले का मामला सामने आया है. उत्तराखंड से सामने आए इस मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एसआईटी जांच के आदेश दिए है. दरअसल राज्य में अल्पसंख्यक संस्थानों में स्कॉलरशिप वितरण में गड़बड़ियां सामने आई है. जिसे लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. सीएम धामी ने एसआईटी जांच के आदेश दे दिए हैं.

सरस्वती शिशु मंदिर और संस्कृत स्कूल के छात्रों को मिली अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति

मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति में उत्तराखंड में 17 संस्थानों में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति की धांधली का खुलासा हुआ है. खास बात यह है कि उधम सिंह नगर के किच्छा में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल और रुद्रप्रयाग के बासु केदार स्थित संस्कृत विद्यालय के छात्रों के नाम पर भी अल्पसंख्यक छात्रवृति की बंदरबांट की गई.

दोनों विद्यालय को अल्पसंख्यक विद्यालय बताकर छात्रवृत्ति का घपला सामने आया है, राज्य के ऐसे 17 अल्पसंख्यक संस्थानों में छात्रवृत्ति घपले की पुष्टि हुई.

राज्य के 17 संस्थानों में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा

उत्तराखंड के 17 संस्थानों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है. जिसमें उधम सिंह नगर के 6 संस्थान के 456 छात्र, हरिद्वार के 7 संस्थान के 629 छात्र, नैनीताल के 2 संस्थान के140 छात्र और रुद्रप्रयाग के 2 संस्थान के 7 छात्रों से जुड़ा घपला सामने आया है.

प्राथमिकी जांच में 17 संस्थानों से सामने आई गबन की बात

उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पराग मधुकर धकाते बताते हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से साल 2021-22 और साल 2022-23 में राज्य के कुल 92 संस्थाएं संदेह के घेरे में थी, इसके बाद 17 अल्पसंख्यक संस्थाओं के खिलाफ जांच की गई और जिसमें पाया गया कि इन संस्थानों में छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा किया गया है. प्राथमिक जांच में भी यही पाया गया की छात्रवृत्ति का गबन किया गया है.

दूसरे राज्यों के बच्चों के नाम पर भी बंटी छात्रवृत्ति

विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते बताते हैं कि जांच में पाया गया कि उत्तराखंड ही नहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल तक के छात्रों का रजिस्ट्रेशन हुआ है और छात्रवृत्ति बांटी गई है. इन संस्थानों में छात्रों की संख्या उनका पहचान पत्र उनका आधार कार्ड और उनके निवास संबंधी दस्तावेज फर्जी पाए गए. इसके बाद इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए.

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सीएम ने एसआईटी जांच के निर्देश दिए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गंभीर मामला है और यही वजह है कि इसके लिए एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले में किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा. उसके खिलाफ सशक्त कार्रवाई की जाएगी.

केंद्र सरकार की जानकारी के बाद ही राज्य में छात्रवृत्ति घपले जांच शुरू की गई है. ऐसे में सवाल राज्य के अधिकारियों पर है. जिनके नाक के नीचे अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा होता रहा और इनको भनक तक क्यों नहीं लगी.

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