'मेरा पूरा राजनीतिक करियर दांव पर' : गोवा में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने पर बोले उत्पल पर्रिकर

भाजपा के उन्हें टिकट देने से मना करने और इस सीट के लिए विवादास्पद विधायक बाबुश मोनसेरेट को टिकट देने के बाद पार्टी का दामन छोड़ने वाले उत्पल 14 फरवरी को गोवा का चुनाव पणजी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे.

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उत्पल 14 फरवरी को गोवा का चुनाव पणजी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे.
पणजी:

गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने गुरुवार को कहा कि वह अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र पणजी में अतानासियो 'बाबुश' मोनसेरेट के खिलाफ चुनाव लड़कर अपना पूरा राजनीतिक जीवन दांव पर लगा रहे हैं. भाजपा के उन्हें टिकट देने से मना करने और इस सीट के लिए विवादास्पद विधायक बाबुश मोनसेरेट को टिकट देने के बाद पार्टी का दामन छोड़ने वाले उत्पल 14 फरवरी को गोवा का चुनाव पणजी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे. NDTV को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उत्पल ने बताया, "मैं पंजिम में बाबुश मोनसेरेट से लड़कर अपना पूरा राजनीतिक करियर दांव पर लगा रहा हूं, जहां उनके पास राज्य की मशीनरी है."

उन्होंने कहा, "पार्टी छोड़ने का फैसला लेना कठिन विकल्प था. अब भी यह आसान नहीं है. मेरे पिता ने दो दशकों से अधिक समय तक पार्टी को जमीन से ऊपर उठाने का काम किया था. मेरा भाजपा कार्यकर्ताओं, पार्टी के निर्माण में शामिल सभी लोगों के साथ संबंध है. मैं राजनीति में हूं क्योंकि मैं उनका बेटा हूं."

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​हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि मनोहर पर्रिकर ने अपने बेटे के राजनीति में आने की योजना कभी नहीं बनाई थी. पेशे से इंजीनियर उत्पल ने कहा, "कोई नहीं चाहता कि उनका बेटा इस क्षेत्र में आए, लेकिन एक अच्छे व्यक्ति को आखिरकार अपना फैसला खुद लेना होता है और आना पड़ता है. किसी को तो खड़ा होना होता है. मैं उम्मीद कर रहा था कि भाजपा मुझे ऐसा करने का मौका देगी."

तीन बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर का 2019 में निधन हो गया था. उन्होंने पणजी सीट पर 25 साल तक अपना वर्चस्व बना कर रखा. पर्रिकर की मृत्यु के बाद उपचुनाव में, उनके लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे बाबुश मोनसेरेट, जो बलात्कार के एक मामले में आरोपी थे, कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीते, लेकिन बाद में भाजपा में चले गए.

"अगर मैं मनोहर पर्रिकर के बेटे होने के लिए टिकट चाहता तो मैं आखिरी वक्त तक उस पर जोर देता. पिछली बार मुझे जमीनी कार्यकर्ताओं और लोगों का बहुत समर्थन मिला था. मुझे टिकट से वंचित कर दिया गया था. जीत मेरे साथ थी, लेकिन मैंने पार्टी का निर्णय स्वीकार किया. मैंने उनसे कहा कि भाजपा उम्मीदवार हार जाएगा, फिर भी मैंने पूरे दिल से उम्मीदवार को स्वीकार कर लिया."

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जब उनसे पूछा गया कि तो फिर इस बार उन्होंने पार्टी का निर्णय क्यों नहीं माना, तो उत्पल ने जवाब दिया, "अब उन्होंने एक दलबदलू को टिकट दिया है. उन्होंने हमेशा भाजपा के खिलाफ काम किया है और भाजपा विरोधी वोटों से जीत हासिल की है. हमारे मतदाता उनके लिए वोट या उनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं."

पर्रिकर को शांत करने के अपने प्रयासों में, भाजपा ने अन्य निर्वाचन क्षेत्रों की पेशकश की और 2027 को भी लॉन्च करने की बात कही, लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ दी. उन्होंने कहा, "जिस क्षण मैंने इस्तीफा दिया, मैंने कहा कि एक अच्छा उम्मीदवार दो और मैं वापस आ जाऊंगा." बिना नामों का खुलासा किए पर्रिकर ने कहा कि भाजपा में कई लोग उनके पद छोड़ने के बाद उनसे बात करने पहुंचे.

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जहां तक ​​अन्य पार्टियों का सवाल है - शिवसेना और आम आदमी पार्टी (आप) जैसी पार्टियां उनके समर्थन में सामने आई थीं. पर्रिकर ने कहा: "लोग सभी पार्टी लाइनों से मेरा समर्थन कर रहे हैं, लेकिन मेरा समर्थक - एक बड़ा वर्ग भाजपा से होगा."

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बहुत कम तर्जुबे के साथ राजनीति में उतरने की बात पर उत्पल ने कहा, "1994 में जब मेरे पिता आए, तो वह पणजी के निवासी भी नहीं थे, लेकिन लोगों ने उनमें क्षमता देखी. मेरे पास 14 तारीख तक का समय है. उन्हें फैसला करने दें. मैं सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहा हूं जो एक नौसिखिया लड़ सकता है. मैं एक दलबदलू को ही नहीं, बल्कि एक दलबदल समर्थक को भी विधानसभा से बाहर भेजना चाहता हूं."

गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए अगले महीने चार अन्य राज्यों के साथ चुनाव होने हैं. परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.

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Video : मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पणजी से निर्दलीय उतरेंगे मैदान में

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