केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका के बयान को भारत ने बताया "अवांछित और अस्वीकार्य"

केजरीवाल मुद्दे पर अमेरिका की तरफ से आए दूसरे बयान पर विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, "अमेरिका के बयान पर भारत पहले ही आपत्ति जता चुका है. उसका ताजा बयान अवांछनीय है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. भारत में न्याय प्रणाली स्वतंत्र है."

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अरविंद केजरीवाल की ED कस्टडी 1 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है.

नई दिल्ली:

दिल्ली के शराब नीति केस में गिरफ्तार हुए सीएम अरविंद केजरीवाल की ED कस्टडी 1 अप्रैल तक बढ़ गई है. ED ने गुरुवार को केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया. ED ने 7 दिन की कस्टडी और मांगी थी. दलीलें सुनने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने 4 दिन की कस्टडी बढ़ाई. इस बीच अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भारत की कड़ी आपत्ति के बाद भी अमेरिका ने एक बार फिर से इसपर बयान दिया है. अमेरिका ने फिर कहा कि केजरीवाल के मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए. भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के बयान को अवांछित और अस्वीकार्य करार दिया है.

केजरीवाल मुद्दे पर अमेरिका की तरफ से आए दूसरे बयान पर विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, "अमेरिका के बयान पर भारत पहले ही आपत्ति जता चुका है. उसका ताजा बयान अवांछनीय है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. भारत में न्याय प्रणाली स्वतंत्र है." विदेश मंत्रालय ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "किसी भी तरह से हमारी संप्रभुता में दखलअंदाज़ी स्वीकार्य नहीं है. भारत को अपने लोकतांत्रिक संस्थानों पर गर्व है."

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क्या है अमेरिका का ताजा बयान
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार रात प्रेस ब्रीफिंग में कहा- "हम अपने स्टैंड पर कायम हैं. इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी हो."

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अमेरिका ने कहा था- केजरीवाल मामले पर हमारी नज़र
अमेरिका ने मंगलवार (26 मार्च) को भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में बयान दिया था. अमेरिका ने कहा था, "हमारी सरकार केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले पर नजर बनाए हुए है. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए."

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भारत ने अमेरिकी डिप्लोमैट को तलब किया था
भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इसका विरोध किया था. विदेश मंत्रालय ने इस मामले में अमेरिकी डिप्लोमैट ग्लोरिया बारबेना को तलब किया था. मंत्रालय ने कहा था- "भारत में कानूनी कार्रवाई पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान गलत है. कूटनीति में उम्मीद की जाती है कि देश एक-दूसरे के आंतरिक मसलों और संप्रभुता का सम्मान करेंगे. अगर दो देश लोकतांत्रिक हों तो इसकी उम्मीद और बढ़ जाती है, नहीं तो अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है.

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भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा था- "भारत में कानूनी प्रक्रिया एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित है. उस पर कलंक लगाना या सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जाएगा."

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जर्मनी के बयान पर भी भारत ने जताई आपत्ति
अमेरिका से पहले 23 मार्च को इसी मामले में जर्मनी का बयान सामने आया था. जर्मनी ने कहा था, "भारत एक लोकतांत्रिक देश है. हमें उम्मीद है कि यहां न्यायालय आजाद है. केजरीवाल के मामले में भी लोकतंत्र के उसूलों का पालन किया जाएगा." इसके बाद विदेश मंत्रालय जर्मनी के डेप्लोमेट को तलब किया था. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जर्मनी भारत के आतंरिक मामलों में दखलंदाजी न करे. हम इस तरह के बयानों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में दखल मानते हैं. इस तरह के बयान हमारे न्यायालय की निष्पक्षता और आजादी पर सवाल खड़े करते हैं.

21 मार्च को अरेस्ट हुए थे केजरीवाल
बता दें कि दिल्ली के शराब नीति केस में सीएम अरविंद केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को दो घंटों की पूछताछ के बाद उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था. ED के मुताबिक, केजरीवाल पर 'साउथ ग्रुप' और के कविता के जरिए 100 करोड़ रुपये का रिश्वत लेने का आरोप लगा है. इस रकम का इस्तेमाल 2022 में हुए गोवा विधानसभा चुनाव के प्रचार में किया गया था. 

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