- अमेरिकी दूतावास की अधिकारी ने कहा कि अमेरिका, भारत को ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है.
- अमेरिका भारत को तेल और लिक्विड नैचुरल गैस सप्लाई कर सकता है, जिससे द्विपक्षीय ऊर्जा साझेदारी मजबूत होगी.
- शीर्ष अधिकारी ने यह भी जिक्र किया कि दोनों देशों के बीच सहयोग ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ भारत पर थोपी गईं टैरिफ दरों के बाद अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में कुछ खटास आ गई है. 27 अगस्त को टैरिफ की 25 फीसदी दरें भी लागू हो जाएंगी. इससे पहले अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी की तरफ से कहा गया है कि उनका देश भारत के साथ काम करने, ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करने और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है. इस अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया है कि भारत को तेल और लिक्विड नैचुरल गैस तक सप्लाई कर सकता है.
ला सकते हैं बड़े बदलाव
अमेरिकी दूतावास में प्रधान वाणिज्य अधिकारी जियाबिंग फेंग ने कहा है कि अमेरिका भारत को ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास हासिल करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं के निर्यात में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. 'इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स' के '3वें ऊर्जा शिखर सम्मेलन' को संबोधित करते हुए, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के शीर्ष अधिकारी ने यह भी जिक्र किया कि दोनों देशों के बीच सहयोग वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है.
उन्होंने कहा, 'जैसा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, अमेरिका उच्च गुणवत्ता वाले कार्य-वर्ग के उत्पादों और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से भारत के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास की लक्ष्यों को हासिल कर सके.' भारत के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों के अनुरूप, अमेरिका तेल और गैस तथा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार हो सकता है.
उनका कहना था, 'जब हम इस महत्वपूर्ण संरचना में मिलते हैं, तो वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य गहन परिवर्तन से गुजर रहा है. भू-राजनीतिक अस्थिरता, बाजार, आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान ने कमजोरियों को उजागर किया है और यह सुनिश्चित करने में रुचि पर जोर दिया है कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए हम सुरक्षित ऊर्जा प्रणालियों का संचालन करें.'
ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध
जियाबिंग फेंग ने कहा कि अमेरिका, भारत को तेल और लिक्विड नैचुरल गैस का एक अहम सप्लायर हो सकता है. फेंग के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, उन्होंने और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ने ग्लोबल एनर्जी मार्केट को आकार देने में प्रमुख उपभोक्ता और उत्पादक के रूप में अपनी भूमिकाओं की पुष्टि की. साथ ही तेल, गैस और परमाणु ऊर्जा सहित द्विपक्षीय ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी के लिए प्रतिबद्धता सुनिश्चित की.
फेंग के शब्दों में, 'अमेरिका और भारत ऊर्जा संसाधनों में विविधता लाने और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता साझा करते हैं. प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा और उभरती ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में अमेरिकी विशेषज्ञता को विस्तृत करके, अमेरिका भारत के ऊर्जा सुरक्षा और ग्रिड आधुनिकीकरण के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का समर्थन कर सकता है.' उन्होंने कहा, जबकि यह भी कहा कि अमेरिकी कंपनियां उत्पादों को बेचने और भारत के साथ साझेदारी करने के लिए भी तैयार हैं ऊर्जा सुरक्षा और ग्रिड आधुनिकीकरण दोनों के संदर्भ में.
आईएसीसी के तीसरे ऊर्जा शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, प्रीमियर एनर्जीज लिमिटेड के मुख्य व्यावसायिक अधिकारी विनय रुस्तगी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने रिन्यूबल एनर्जी स्थापना और सोलर एलीमेंट विनिर्माण में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है. उन्होंने यह भी कहा कि आगे की नीतिगत समर्थन और सुधार उपायों के साथ, भारत सौर मॉड्यूल के लिए वेफर्स और इंगोट्स के निर्माण में वृद्धि देख सकता है.
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से आगे बढ़ें
वहीं आईएसीसी के क्षेत्रीय अध्यक्ष और एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉक्टर अतुल चौहान ने कहा कि दोनों देशों को महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने, सौर मॉड्यूल क्षमताओं और परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने और ग्रिड आधुनिकीकरण में निवेश करना चाहिए.' उनका कहना था कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग न केवल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को अनलॉक कर सकता है, बल्कि लचीले पारिस्थितिकी तंत्र में सह-निवेश भी कर सकता है.
इससे अलग सुनील जैन, शिखर सम्मेलन अध्यक्ष और अध्यक्ष, जलवायु परिवर्तन और ईएसजी, आईएसीसी और संस्थापक भागीदार, सनदेव रिन्यूएबल्स एलएलपी ने परमाणु और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों सहित विभिन्न ऊर्जा स्रोतों और प्रौद्योगिकियों और पारंपरिक स्रोतों और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों से जुड़े एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि भारत साल 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूबल एनर्जी स्थापित करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की दिशा में काम कर रहा है.
जैन ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के महत्व पर भी रोशनी डाली. उनका मानना है कि यह भविष्य में ऊर्जा संक्रमण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र हो सकता है.