UP Private School Fees 2022-23 : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. पेट्रोल-डीजल, दूध, महंगी कॉपी-किताबों के बाद ये आम आदमी के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है. यूपी सरकार ने इससे पहले लगातार तीसरे साल जनवरी 2022 में फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाया था, जिसे अब हटा लिया गया है. यूपी में अतिरिक्त मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) आराधना शुक्ला ने कहा कि प्राइवेट स्कूल शैक्षणिक सत्र 2022-23 से अपने यहां फीस बढ़ा सकते हैं. लेकिन सिर्फ पांच फीसदी ही बढ़ोतरी की जा सकती है. इसके लिए वर्ष 2019-20 के एकेडमिक सेशन को आधार माना जाएगा. यानी कि तब जितनी फीस रही होगी, उसी पर 5 फीसदी का इजाफा किया जा सकेगा. इस आशय का पत्र सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेज दिया गया है.
सरकार ने यह कदम तब उठाया है, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर रोक के सरकारी आदेश पर यूपी सरकार से जवाब मांगा था. निजी स्कूलों को वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी गई. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निजी विद्यालयों को शुल्क बढ़ाने की अनुमति देने पर आरोप लगाया कि योगी सरकार देश को अशिक्षित रखना चाहती है. बीजेपी को अभिभावकों की स्थिति को समझना चाहिए. दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा, ‘पंजाब में 16 मार्च को आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के 10 दिन के भीतर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने निजी विद्यालयों को शुल्क नहीं बढ़ाने का आदेश जारी किया. जबकि 25 मार्च को उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और उसने आदेश पारित किया कि निजी विद्यालयों को शुल्क बढ़ाने और माता-पिता को लूटने की पूरी आजादी है. जबकि कोविड-19 महामारी के दौरान कई लोगों की आजीविका समाप्त हो गई और ऐसे में शुल्क बढ़ाने से उन्हें परेशानी होगी.
सिसोदिया ने कहा, ‘वे सरकारी स्कूल में सुधार के लिए काम नहीं कर सकते. आम आदमी कहां जाएगा? कोविड के दौरान लोगों का रोजगार चला गया. आप सरकारी विद्यालयों की हालत सुधारने के लिए काम नहीं करेंगे और आप निजी विद्यालयों को शुल्क बढ़ाने की अनुमति देंगे. आप देश को अशिक्षित रखना चाहते हैं. यह भाजपा के शासन का मॉडल है. कृपया अभिभावकों के बारे में भी सोचिए.'
सिसोदिया ने बताया, ‘पहले दिल्ली में निजी विद्यालय शुल्क में मनमानी बढ़ोतरी कर सकते थे, लेकिन हमने 2015 में इस पर रोक लगा दी. पिछले सात साल में, हमने निजी विद्यालयों को शुल्क बढ़ाने से रोका है और इसके बाद हमने एक ऐसी प्रणाली लागू की कि यदि वे शुल्क में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए दिल्ली सरकार से अनुमति लेनी होगी. सरकार ने यह पता लगाने के लिए उनके खातों का ऑडिट किया कि उन्हें शुल्क बढ़ोतरी की वास्तव में आवश्यकता है या नहीं.'