बहराइच जिले के भाजपा विधायक की दो वर्ष कैद की सजा पर रोक

विधायक सिंह को एक विशेष अदालत ने पूर्व उप जिलाधिकारी (एसडीएम) को धमकी देने के 21 साल पुराने मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई थी और ढाई हजार रुपये जुर्माना लगाया था.

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अदालत ने अपने आदेश में राहुल गांधी मामले के निर्णय का हवाला दिया है. (प्रतीकात्‍मक)
बहराइच (उप्र):

बहराइच के जिला न्यायाधीश की अदालत ने महसी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सुरेश्वर सिंह को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल कैद की सजा पर सोमवार को रोक लगा दी है. अदालत में विधायक की पैरवी करने वाले जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता बृजपाल सिंह ने अदालती फैसले की प्रति साझा करते हुए ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि 'जनपद न्यायाधीश उत्कर्ष चतुर्वेदी ने उनके मुवक्किल सिंह को एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर रोक लगा दी है.'

अधिवक्ता सिंह ने बताया, 'अदालत ने अपने आदेश में गत वर्ष राहुल गांधी बनाम पूर्णेश ईश्वर भाई मोदी के मामले में सांसद राहुल गांधी को उच्चतम न्यायालय से मिली राहत के निर्णय का हवाला दिया है.'

बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि 'राहुल गांधी बनाम पूर्णेश मोदी मामले में अपील पर उच्चतम न्यायालय के आदेश में इस बात का जिक्र था कि इस तरह के फैसले ना केवल अपील करने वाले व्यक्ति के हितों को प्रभावित करते हैं बल्कि इससे उन मतदाताओं के हित भी प्रभावित होते हैं जिन्होंने उन्हें चुनकर भेजा है.”

सिंह ने बताया कि अपील में इस बिंदु के आधार पर राहत मांगी गयी थी. सोमवार के फैसले में इस बिंदु का हवाला है.

अधिवक्ता ने कहा कि 'विधायक को सुनाई गयी सजा उनके खिलाफ दर्ज मामले की धाराओं में अधिकतम सजा है. जबकि असंज्ञेय, जमानती व क्षमा योग्य अपराध के मामलों में संबंधित न्यायालय से अधिकतम दंड देते समय कारण का उल्लेख किया जाना अपेक्षित है.'

अधिवक्ता ने बताया कि 'फैसले में अपील के इस बिंदु का हवाला है कि निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए सुरेश्वर सिंह मौजूदा विधायक हैं. इनके माता पिता भी जनप्रतिनिधि थे. इन्हें किसी मामले में कोई सजा नहीं हुई है. इस मामले में वह जमानत पर थे और इन्होंने अपनी जमानत का दुरुपयोग नहीं किया है.'

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सिंह ने सजा के खिलाफ जनपद न्यायाधीश उत्कर्ष चतुर्वेदी की अदालत में अपील दायर की थी.

गौरतलब है कि बहराइच जिले की महसी विधानसभा सीट से विधायक सिंह को सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिये गठित यहां की एक विशेष अदालत ने पूर्व उप जिलाधिकारी (एसडीएम) को धमकी देने के 21 साल पुराने मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई थी और ढाई हजार रुपये जुर्माना लगाया था.

चार जनवरी को अदालत ने उन्हें सजा सुनाई थी. आदेश के अनुसार, जुर्माना अदा न करने पर उन्हें सात दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

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जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) मुन्नू लाल मिश्र ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा' को बताया था कि अदालत ने सजा सुनाए जाने के बाद विधायक को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के लिये जमानत दे दी है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, दो सितंबर 2002 को महसी तहसील के उपजिलाधिकारी लाल मणि मिश्र ने हरदी थाने में विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि सिंह ने एसडीएम कार्यालय में घुसकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करके एसडीएम के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें धमकी दी थी.

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जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 के प्रावधानों के तहत दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को सजा की तारीख से ही अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और सजा काटने के बाद अगले छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक रहती है. हालांकि जिला न्यायाधीश द्वारा निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने के बाद विधायक की सदस्‍यता खत्‍म होने का मामला टल गया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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