भारत ने उचित नियामक तंत्र की अनुपस्थिति में ‘‘असामाजिक तत्वों'' द्वारा एन्क्रिप्टेड संदेश और क्रिप्टो करेंसी जैसी नई प्रौद्योगिकियों के संभावित दुरुपयोग की आशंका जताई है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयास करने का शनिवार को आह्वान किया. दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद निरोधक समिति की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सोशल मीडिया मंच आतंकवादी समूहों की ‘‘टूलकिट'' में प्रभावशाली उपकरण बन गए हैं और आतंकवादी समूहों, उनके ‘‘वैचारिक अनुयायियों'' और ‘‘अकेले हमला करने वाले'' (लोन वुल्फ) लोगों ने इन नई प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हासिल करके अपनी क्षमताएं बढ़ा ली हैं.
आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए विदेश मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि नई दिल्ली इस साल संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड फॉर काउंटर-टेरररिज्म में पांच लाख डॉलर का स्वैच्छिक योगदान देगी.
जयशंकर ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के संदर्भ में यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था उन देशों को आगाह करने के लिए प्रभावी है, जिन्होंने आतंकवाद को ‘‘राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम'' बना लिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में आयोजित इस बैठक के दूसरे दिन के सत्र में शिरकत की. पहले दिन का सत्र मुंबई में आयोजित किया गया था.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बैठक के लिए अपने संदेश में विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा नई तकनीकों/प्रौद्योगिकी के उपयोग के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की बात कही.
बैठक में पढ़े गए उनके संदेश के अनुसार, ‘‘आतंकवादी और घृणा वाली विचारधारा रखने वाले अन्य लोग गलत सूचनाएं फैलाने, वैमनस्य पैदा करने, लोगों को कट्टर बनाने, लोगों को अपने साथ जोड़ने, साजो-सामग्री जुटाने और हमले करने में नयी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं.''
वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवेरली ने कहा कि आतंकवादियों को धन और आधुनिक तकनीक से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए.
जयशंकर ने कहा कि पिछले दो दशकों में तकनीकी नवाचार दुनिया के काम करने के तरीके में परिवर्तनकारी रहे हैं और वर्चुअल निजी नेटवर्क तथा एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सेवाओं से लेकर आभासी मुद्राओं तक नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियां आर्थिक और सामाजिक लाभों के लिए एक आशाजनक भविष्य की पेशकश कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि हालांकि, जब बात आतंकवाद से संबंधित हो तो सिक्के का दूसरा पहलू भी सामने आता है.
जयशंकर ने कहा, ‘‘इन नई प्रौद्योगिकियों ने असामाजिक तत्वों द्वारा दुरुपयोग के लिहाज से कमजोर होने के कारण सरकारों तथा नियामक संस्थाओं के लिए नई चुनौतियां पैदा की है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, खासतौर से खुले और उदार समाज में आतंकवादी समूहों, उनके वैचारिक अनुयायियों और अकेले हमला करने वाले लोगों ने इन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हासिल करके अपनी क्षमताएं बढ़ा ली हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘वे आजादी, सहिष्णुता और प्रगति पर हमला करने के लिए प्रौद्योगिकी और पैसा तथा सबसे जरूरी खुले समाज के लोकाचार का इस्तेमाल करते हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘इंटरनेट और सोशल मीडिया मंच समाज को अस्थिर करने के मकसद से दुष्प्रचार, कट्टरपंथ फैलाने तथा साजिश रचने के लिए आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों की टूलकिट में प्रभावशाली उपकरण बनकर उभरे हैं.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवादी समूहों और संगठित आपराधिक नेटवर्कों द्वारा मानवरहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल ने दुनियाभर में सरकारों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है.''
उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों द्वारा कुख्यात उद्देश्यों जैसे कि हथियारों एवं विस्फोटकों की डिलीवरी तथा लक्षित हमले करने के लिए इन मानवरहित हवाई प्रणालियों का ‘‘दुरुपयोग आसन्न खतरा'' बन गया है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘रणनीतिक, बुनियादी और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल की आशंकाओं पर सदस्य देशों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.''
यह पहला मौका है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भारत में किसी भी रूप में बैठक का आयोजन कर रही है.
आतंकवाद को मानवता के लिए ‘‘सबसे गंभीर खतरों में से एक'' बताते हुए जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पिछले दो दशकों में आतंकवाद से निपटने के लिए मुख्य रूप से आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था के आसपास निर्मित महत्वपूर्ण संरचना विकसित की है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह उन देशों को आगाह करने के लिए बहुत प्रभावी रही है, जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम बना लिया है.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसके बावजूद आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, खासतौर से एशिया और अफ्रीका में, जैसा कि 1267 प्रतिबंध समिति निगरानी रिपोर्टों में बार-बार उल्लेख किया गया है.''
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