केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) "भारत सरकार और राज्य सरकारों से मांग करती है" कि ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में कोटा प्रदान किया जाए. "बहुत से लोग एससी और एसटी से हैं (निजी क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी की तलाश में हैं)... लेकिन कोई आरक्षण नहीं है. जल्द ही शायद सरकारी क्षेत्र (कंपनियां) भी निजी हो जाएंगी..."
रामदास अठावले का बयान क्यों है महत्वपूर्ण?
रामदास अठावले सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री हैं. अठावले की यह मांग कर्नाटक में गैर-प्रबंधन निजी क्षेत्र की नौकरियों में 70 प्रतिशत और प्रबंधन स्तर पर 50 प्रतिशत नौकरियों को कन्नडिगाओं के लिए आरक्षित करने के कदम पर विवाद के बीच आई है. इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया था कि 100 फीसदी आरक्षण होगा. मंगलवार को यह घोषणा करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट आज दोपहर हटा दी गई.
श्रम मंत्री संतोष एस लाड ने स्पष्ट किया कि गैर-प्रबंधन भूमिकाओं के लिए आरक्षण 70 प्रतिशत और प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों के लिए 50 प्रतिशत होगा. कोटा को लेकर सरकार की तैयारी को मिला-जुला स्वागत देखने को मिला है. कुछ व्यापारिक नेताओं ने इसे "भेदभावपूर्ण" कहा, जबकि बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ जैसे अन्य लोगों ने कहा कि स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही उन्होंने सरकार को आगाह भी किया.
किरण मजूमदार-शॉ ने क्या लिखा था?
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर उन्होंने लिखा, ‘‘ एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की आवश्यकता है. हालांकि, हमारा उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना है...लेकिन हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए.'' मजूमदार-शॉ ने कहा, ‘‘ ऐसी शर्तें होनी चाहिए जो उच्च कौशल वाली भर्ती को इस नीति से छूट प्रदान करें.''
कर्नाटक मंत्रिमंडल के उस विधेयक को मंजूरी देने के बाद उनका यह बयान आया, जिसमें उद्योगों, कारखानों तथा अन्य प्रतिष्ठानों के लिए प्रबंधन पदों पर 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन पदों पर 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति अनिवार्य करने का प्रावधान है. कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखाना तथा अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक, 2024 को राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को मंजूरी दे दी थी.
हरियाणा में आरक्षण का मुद्दा हो सकता है प्रभावी
आरक्षण का यह मुद्दा आने वाले दिनों में हरियाणा में होने वाले चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है. हरियाणा में बीजेपी ने पिछले 2 चुनावों में जीत हासिल की है. हालांकि हाल ही में बीजेपी को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा था. लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी.
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