केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के एक फैसले की तारीफ की है. कोर्ट ने ‘राइटर्स क्रैम्प' नामक समस्या से जूझ रहे कैंडीडेट को उत्तराखंड सिविल न्यायाधीश भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा लिखने के लिए एक व्यक्ति की मदद लेने की इजाजत दी थी. इस बारे में अंतरिम आदेश शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने जारी किया.
‘राइटर्स क्रैंप' नामक समस्या में किसी व्यक्ति को लिखने में दिक्कत होती है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया, "माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई यह कार्रवाई दिल को छू लेने वाली है. एक दिव्यांग उम्मीदवार के लिए एक बड़ी राहत है. एक योग्य व्यक्ति के लिए समय पर न्याय "बहुत संतोषजनक" है. उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख करने वाले कैंडीडेट के वकील द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि पात्र शख्स को समय पर न्याय मिलना ‘बहुत संतोषजनक' है.
धनंजय कुमार ने अपनी याचिका में बताया था कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) ने निर्धारित परीक्षा से कुछ दिन पहले 20 अप्रैल को उनकी एप्लिकेशन को खारिज कर दिया था. धनंजय कुमार ‘राइटर्स क्रैम्प' नामक समस्या से पीड़ित हैं और उन्होंने अपने अनुरोध के समर्थन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ओर से 25 सितंबर, 2017 को जारी मेडिकल सर्टिफिकेट भी पेश किया था.
उम्मीदवार की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना की दलीलों पर ध्यान देते हुए, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने यूकेपीएससी और उत्तराखंड सरकार को एक नोटिस जारी कर पूछा कि उनका अनुरोध क्यों खारिज किया गया. साथ ही 12 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा, "हम उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को एक अंतरिम निर्देश जारी करते हैं, जो परीक्षा आयोजित करने के प्रभारी हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि याचिकाकर्ता को आगामी परीक्षा के लिए एक पेपर लिखने वाला उपलब्ध कराया जाए..."
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