विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने ‘स्टार्टअप' के पोषण और प्रगति की निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप की संख्या एक लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है. उन्होंने कहा कि यह तंत्र विभिन्न स्टार्टअप की प्रगति पर पैनी नजर रखेगा और देखेगा कि उनको कैसे टिकाऊ बनाया जाए ताकि वे असफल न हों, खासकर वे जिन्होंने केंद्र सरकार से तकनीकी और वित्तीय समर्थन हासिल किया है.
सिंह यहां प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम और पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे. मंत्री ने कहा कि कई वर्षों के दौरान स्टार्टअप में बदलाव देखा गया है जो सूचना प्रौद्योगिकी से जैव प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान की तरफ है, क्योंकि समुद्र विज्ञान में नयी संभावनाएं खुली हैं.उन्होंने स्टार्टअप को लेकर जारी मिथकों को खारिज किया. सिंह ने कहा, ‘‘उम्र भी एक कारक है, मैंने एक वैज्ञानिक को सेवानिवृत्ति के बाद एक स्टार्टअप स्थापित करते देखा है, दूसरी उच्च योग्यता है, आपको बस एक नवोन्मेषी होने की आवश्यकता है, रचनात्मकता के लिए एक आंतरिक चाहत होनी चाहिए.''
प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस और सप्ताह की तरह ‘स्टार्टअप दिवस एवं सप्ताह' होना चाहिए. सिंह ने नवोन्मेषी स्वदेशी तकनीक के सफल व्यावसायीकरण के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार प्रदान किये. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह समारोह की शुरुआत 11 मई को पोकरण-दो परमाणु परीक्षण की 25वीं वर्षगांठ पर हुई. यह परीक्षण 1998 में किया गया था. वर्ष 1999 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी.
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