मकान किराए की इनकम और बैंक से मिले ब्याज की बात छिपाई है! बजट की 'थोड़ा खुशी-थोड़ी गम' वाली बात पढ़ लीजिए

सैलरीड एंप्लॉई को 31 जुलाई तक रिटर्न दाखिल करना होता है, लेकिन रिवाइज्ड रिटर्न दिसंबर के अंत तक दाखिल किया जा सकता है. इस तरह, अपडेटेड रिटर्न की सुविधा काम आती है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

क्या आप इस बात से परेशान हैं कि किराए से होने वाली इनकम की जानकारी न देने या फिर सेविंग अकाउंट से मिलने वाले ब्याज को टैक्स रिटर्न में शामिल न करने पर टैक्स अधिकारी आपके पीछे पड़ जाएंगे? अगर हां तो बता दें कि अब आप थोड़ी राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की अवधि को बढ़ा दिया गया है लेकिन इसके साथ ही इसपर पेनल्टी भी लगाई जाएगी.  बता दें कि बजट 2022 में टैक्स पेयर्स को अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने में सक्षम बनाने के लिए सुविधा की शुरुआत की गई थी. अपने भाषण में इसका जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “टैक्स पेयर्स पर हमारा भरोसा सही साबित हुआ है. करीब 90 लाख टैक्स पेयर्स ने रिवाइज टैक्स रिटर्न का भुगतान करके स्वेच्छा से अपनी इनकम अपडेट की है. इस भरोसे को और आगे बढ़ाते हुए मैं अब किसी भी आकलन वर्ष के लिए अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव करती हूं.”

दिसंबर के अंत तक दाखिक किया जा सकता है रिवाइज रिटर्न

सैलरीड एम्प्लॉई को 31 जुलाई तक रिटर्न दाखिल करना होता है, लेकिन रिवाइज्ड रिटर्न दिसंबर के अंत तक दाखिल किया जा सकता है. इस तरह, अपडेटेड रिटर्न की सुविधा काम आती है, क्योंकि यह टैक्स पेयर को जांच, दंड और गंभीर कानूनी परिणामों से बचने में सक्षम बनाता है, नहीं तो इसे अघोषित आय माना जाता है.

टैक्स एक्सपर्ट्स को कुछ चीजें न होने का अफसोस

हालांकि, टैक्स एक्सपर्ट्स को कई अन्य उपायों के न होने का अफसोस है. उदाहरण के लिए, अपडेटेड रिटर्न केवल तभी दाखिल किया जा सकता है जब टैक्स के लिए अतिरिक्त आय की पेशकश की जानी हो: इसे टैक्स बेनिफिट क्लेम (जैसे पुरानी व्यवस्था के तहत दान के लिए कटौती) करने के लिए दाखिल नहीं किया जा सकता है. अगर ऑरिजनल रिटर्न घाटे वाला रिटर्न था, तो घाटे के दावे को कम करने के लिए भी अपडेटेड रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता है.

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घाटे की स्थिति में नहीं फाइल कर सकते रिवाइज रिटर्न

सीए केतन वजानी, का कहना है कि, "इस संशोधन का स्वागत किया जा रहा है लेकिन विधानमंडल घाटे-से-घाटे की स्थिति में अपडेटेड रिटर्न की अनुमति देने के अनुरोध को संबोधित करने से चूक गया है. उदाहरण के लिए, अगर ऑरिजनल रिटर्न में 10 लाख रुपये का घाटा था और करदाता 8 लाख रुपये के घाटे के साथ अपडेटेड रिटर्न दाखिल करना चाहता है, तो वह ऐसा नहीं कर सकता है."

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