इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति (N R Narayana Murthy) ने मंगलवार को कहा कि देश को कोरोना वायरस (COVID-19) वैक्सीन बनाने और देश के लोगों को टीका लगाने की उपलब्धि हासिल करने के बावजूद विज्ञान में अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने अफ्रीका के गाम्बिया में भारत निर्मित कफ सिरप (Indian Cough Syrup Controversy)के कारण 66 बच्चों की मौत को भी रेखांकित किया. नारायण मूर्ति ने कहा कि इस घटना को लेकर भारत को दुनिया भर में शर्मसार होना पड़ा है. इस घटना से हमारी दवा नियामक एजेंसी की विश्वसनीयता धूमिल हुई है. वह इंफोसिस साइंस फाउंडेशन की ओर से 6 दिग्गजों को इंफोसिस पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
कार्यक्रम के दौरान नारायण मूर्ति ने कोरोना टीकों का निर्माण करने वाली भारतीय कंपनियों की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि यह किसी भी मानक द्वारा एक उपलब्धि थी. उन्होंने इस दौरान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रोलआउट की सराहना की, जो प्रोफेसर कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों पर आधारित है. उन्होंने प्रोफेसर गगनदीप कांग और कई अन्य लोगों के लंदन में रॉयल सोसाइटी के फेलो बनने और मिलेनियम पुरस्कार जीतने वाले प्रोफेसर अशोक सेन की भी तारीफ की. नारायण मूर्ति ने अपने संबोधन में कहा कि इन सभी घटनाओं से उत्साह और खुशी बढ़ती है. ये दर्शाती हैं कि भारत विकास की राह पर है लेकिन हमारे सामने अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं.
इस दौरान उन्होंने विज्ञान में रिसर्च के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि 2020 में घोषित विश्व विश्वविद्यालय वैश्विक रैंकिंग के शीर्ष 250 में उच्च शिक्षा का एक भी भारतीय संस्थान नहीं है. यहां तक कि हमारे द्वारा उत्पादित टीके या या तो उन्नत देशों की प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं या उनके शोध के आधार पर बनाए गए हैं. विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए हमें अभी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी का परिणाम है कि हमने अभी भी डेंगू और चिकनगुनिया के लिए एक टीका नहीं बनाया है, जो पिछले 70 वर्षों से हमें तबाह कर रहा है.
बता दें कि कुछ दिनों पहले गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत हुई थी. बाद में पता चला कि बच्चों की मौत किडनी में इंफेक्शन की वजह से हुई है. इन मौतों को भारत में बने खांसी के सिरप से जोड़कर देखा गया. 5 अक्टूबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के खांसी के 4 सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था. WHO ने कहा कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप खराब क्वालिटी वाली हैं.
WHO की चेतावनी के बाद गाम्बिया सरकार ने इन चारों कफ सिरप को जानलेवा बताकर लोगों से इसका इस्तेमाल न करने को कहा. गाम्बिया के अलावा कई और देशों ने भी इन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया.
हालांकि, गाम्बिया ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि भारत में बनी खांसी की दवा ही बच्चों की मौत की वजह है. गाम्बिया मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी के प्रतिनिधि टीजन जैलो ने 31 अक्टूबर को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, 'अभी पुष्टि नहीं हुई है कि भारतीय खांसी की दवाई से बच्चों की किड़नी खराब हुई थी. हम बच्चों की मौत की सही वजह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अभी तक यही पता है कि खांसी की दवा से 70 बच्चों की मौत हुई थी.'
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