ऑल-इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करने के आह्वान के बीच उसे खारिज कर दिया है. ओवैसी ने कहा, "इस देश में इसकी (समान नागरिक संहिता) आवश्यकता नहीं है... विधि आयोग का मानना है कि यूसीसी की आवश्यकता नहीं है."
ओवैसी ने समान नागरिक संहिता के पक्ष में दिए जा रहे तर्कों का विरोध करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को प्रतिष्ठापित किया गया है, जो कहता है कि "राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा." ओवैसी ने कहा, "नीति निर्देशक सिद्धांत शराबबंदी के बारे में भी बात करता है लेकिन किसी को भी इस बारे में बात करते हुए नहीं देखा जा सकता है."
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ओवैसी ने गोवा के समान नागरिक संहिता के प्रावधान पर चुप रहने के लिए भाजपा की आलोचना की, जहां हिंदू पुरुषों को दो बार शादी करने की अनुमति है. उन्होंने कहा, "गोवा नागरिक संहिता के अनुसार, हिंदू पुरुषों को दूसरी शादी का अधिकार है अगर पत्नी 30 साल की उम्र तक एक लड़का को जन्म देने में विफल रहती है. उस राज्य में भी भाजपा की सरकार है, लेकिन वे इस मामले पर चुप हैं."
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इसके अलावा, भाजपा सरकारों पर हमला करते हुए, ओवैसी ने कहा, "अर्थव्यवस्था विफल हो रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है, बिजली-कोयला का संकट है लेकिन वे (भाजपा नेता) यूसीसी के बारे में चिंतित हैं."
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने के तौर-तरीकों की जांच करेगी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी शनिवार को कहा कि सभी मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए ये कानून लाना जरूरी है. इससे एक दिन पहले ओवैसी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा करने का आरोप लगाया था.
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भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में, विशेष रूप से, वादा किया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो यूसीसी को लागू करेगी.