यह तो एक दिन होना ही था. बचपन से पढ़ते आए हैं कि भारत एक दिन चीन को पछाड़ कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा. आखिर वह दिन आ गया. आज जारी संयुक्त राष्ट्र के नए आंकड़ों के मुताबिक भारत की जनसंख्या 142 करोड़ 86 लाख हो गई. जबकि चीन की जनसंख्या 142 करोड़ 57 लाख है. बढ़ती जनसंख्या अभिशाप है या वरदान? यह अच्छी खबर है या बुरी खबर? इन सवालों से केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया जूझ रही है. पहले माना जाता था कि अधिक जनसंख्या का अर्थ है संसाधनों पर बोझ. अब एक दलील यह भी दी जाती है कि बढ़ती जनसंख्या का मतलब देश के पहिए को तेजी से घुमाने वाले ज्यादा हाथ. बहरहाल, एक नजर डालते हैं आंकड़ों पर कि आखिर भारत के लिए इसका क्या मतलब है.
2050 तक हर पांचवा भारतीय हो जाएगा बुजुर्ग
जारी आंकड़ो के अनुसार साल 2050 तक हर पांचवां भारतीय बुजुर्ग हो जाएगा. केरल और पंजाब में बुजुर्गों की संख्या अधिक होगी वहीं यूपी और बिहार में नौजवानों की संख्या अधिक होगी.
15 से 24 वर्ष के 25 करोड़ नौजवान भारत में
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कहा गया है कि 15 से 24 वर्ष के 25 करोड़ नौजवान अभी भारत में हैं. दुनिया में किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक युवा भारत में हैं. साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि साल 2060 तक भारत की आबादी बढ़ती रहेगी. वहीं 2060 के बाद भारत की जनसंख्या स्थिर हो जाएगी.
आर्थिक विकास में चीन की तुलना में पिछड़ा भारत
भारत चीन की तुलना में आर्थिक विकास में पिछड़ गया है. जारी आंकड़ो के अनुसार चीन और भारत के आर्थिक विकास में बड़ा अतंर दिखाया गया है. हालांकि भारत में गरीबी में कमी देखी गई है. गरीबों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. भारत ने अब नाइजीरिया को पीछे छोड़ दिया है.
महिला श्रमिकों की भागीदारी में भी भारत फिसड्डी
भारत में महिला श्रमिकों की भागीदारी दर चीन की तुलना में काफी कम हैं. जहां चीन में 0% से ज़्यादा महिलाएं काम करती हैं. वहीं भारत में एक तिहाई से कुछ कम महिलाएं ही काम करती हैं.
हालांकि तमाम चुनौतियों के बीच जानकारों का मानना है कि जनसंख्या का बढ़ना एक चुनौती तो है लेकिन अगर हम अपने स्किल पर मेहनत करें तो युवा आबादी का फायदा देश के विकास के लिए उठा सकते हैं. ब्रेन ड्रेन जैसी समस्याओं को रोककर देश के मानव संसाधन का समुचित उपयोग किया जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि बढ़ती हुई जनसंख्या को किसी भी हालत में रोकने की जरूरत है . इसके लिए सरकार को समुचित कानून बनाने की जरूरत है.
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