शिवसेना Vs शिवसेना गुट की लड़ाई लगातार जारी है. इसको और हवा मिली जब औरंगाबाद के बिडकिन शहर में जहां से सीएम एकनाथ शिंदे का काफिला गुजरा था, वहां गोमूत्र छिड़कर पवित्र किया गया. उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना समर्थकों ने वहां गोमूत्र को बाल्टी में भरकर और नींबू के पत्तों से छिड़कर उस स्थान को शुद्ध किया. बता दें कि कुछ दिन पहले ही शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल बागी विधायकों को इस्तीफा देने और चुनाव का सामना करने की चुनौती दी थी. राज्य के पूर्व मंत्री ने सवाल किया, ‘‘जब हमने आपको सब कुछ दिया तो आपने हमारी पीठ में छुरा क्यों घोंपा और आपने इस्तीफा देकर चुनाव का सामना क्यों नहीं किया, जैसा कि लोकतंत्र में होता है.''
आदित्य ठाकरे ने असंतुष्टों के इन दावों को खारिज कर दिया कि पूर्ववर्ती महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान उनसे और उनके पिता उद्धव ठाकरे से मिलना मुश्किल था. उद्धव ठाकरे एमवीए सरकार में मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा उपलब्ध रहा हूं. मुझे ऐसे विभाग (पर्यावरण और पर्यटन) आवंटित किए गए थे, जिन्हें कोई नहीं चुनता, लेकिन जब आपकी महत्वाकांक्षाएं और दबाव होता है तो आप रास्ता अलग कर लेते हैं.
आदित्य ने कहा कि उन्होंने (विद्रोही) हमारे सहयोगियों (राकांपा और कांग्रेस) पर उनकी राजनीतिक किस्मत तबाह करने का आरोप लगाया. उन्होंने हिंदुत्व के बारे में बात की... कल वे मुझे हर दिन नीली शर्ट पहनने के लिए दोषी ठहरा सकते हैं. उन्होंने शिंदे खेमे और एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तुरंत चुनाव का सामना करने की चुनौती दी. उन्होंने कहा था कि आइये अब बीएमसी चुनाव का सामना करते हैं, कोई बात नहीं. इस्तीफा दें और चुनाव का सामना करें. हम जनता के जनादेश को स्वीकार करेंगे. मुंबईकरों को पता है कि हमने कोविड-19 महामारी के दौरान शहर के लिए क्या किया है. शिंदे और शिवसेना के 55 विधायकों में से 39 के विद्रोह के कारण इस साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी.