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ठाकरे ब्रदर्स 20 साल आज फिर दिखेंगे साथ. बिखरे रिश्ते, फिर जुड़ रहे हैं. आखिरी बार 2005 में दोनों चचेरे भाइयों ने स्टेज साझा किया था.  2005 में मलवण विधानसभा उपचुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी थी. इसी साल राज ठाकरे ने भी शिवसेना छोड़ दी और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया. अब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आज मुंबई में “मराठी विजय सभा” करने वाले हैं. इससे महाराष्ट्र के लगभग सभी दल विपक्षी या सत्तापक्ष असहज हैं. सभी अपना कैलकुलेशन कर रहे हैं. सभी की नजर इस बात पर है कि ठाकरे ब्रदर्स इस सभा से क्या ऐलान करते हैं. अब तक उद्धव ठाकरे से कदमताल करते नजर आ रही शरद पवार की पार्टी और कांग्रेस ने दोनों भाइयों की मिलन सभा से दूरी बना ली है. वहीं वर्ली के एनएससीआई डोम में तैयारी पूरी है. स्पॉटलाइट में ठाकरे ब्रदर्स राज और उद्धव ही होंगे.

आदित्य ठाकरे क्या बोले

शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसा) के अध्यक्ष राज ठाकरे के शनिवार को एक साथ रैली करने के फैसले को आदित्य ठाकरे ने राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक आंदोलन बताया है. उन्होंने कहा, "यह कोई राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता और भावना से जुड़ा एक सामाजिक आंदोलन है. यह कार्यक्रम महाराष्ट्र की संस्कृति और स्वाभिमान को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है. हम महाराष्ट्र की मूल भावना को लेकर आगे लेकर चलेंगे."

कांग्रेस क्या होगी सभा में शामिल?

कांग्रेस ने शनिवार को अलग-थलग पड़े भाइयों उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संयुक्त 'विजय रैली' से खुद को दूर कर लिया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के एक बड़े वर्ग ने शनिवार की रैली में पार्टी की भागीदारी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि हालांकि पार्टी हिंदी थोपने के विरोध में है, लेकिन वह आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों से पहले गैर-मराठी वोट बैंक को परेशान नहीं करना चाहती. पार्टी ने उद्धव-राज ठाकरे के कार्यक्रम में शामिल न होने का फैसला जानबूझकर किया है. वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, "हमने हमेशा कहा है कि हम हिंदी थोपने के भाजपा सरकार के मिशन का समर्थन नहीं करते हैं. हमने किसी भी अन्य पार्टी से पहले अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. हम मराठी के साथ खड़े हैं, लेकिन हर दूसरी भाषा का सम्मान करते हैं. मुझे शनिवार के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण मिला. मैंने अपनी यात्रा की योजना तय कर ली है, जिसे मैं बदल नहीं सकता." 

शरद पवार ने क्यों किया इनकार

शिवसेना (यूबीटी) और मनसे को उम्मीद थी कि एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार विजय रैली में जरूर शामिल होंगे, लेकिन पवार ने कहा है कि वे अपने पहले से तय कार्यक्रमों के कारण रैली में शामिल नहीं होंगे. उनकी जगह राज्य एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष जयंत पाटिल मौजूद रहेंगे.शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि मैं उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की विजय रैली में भाग नहीं लूंगा. उस दिन के लिए मेरी योजनाएं और कार्यक्रम पहले ही तय हो चुके हैं.

सीएम फडणवीस क्यों ले रहे चुटकी

वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दोनों भाइयों के एक होने पर चुटकी ली और इसे एक तरह की औपचारिक रस्म करार दिया. उन्होंने कहा, "अगर वे इतने खुश हैं तो एक विजय रैली भी निकाल लें. उन्होंने खुद समिति बनाई, अपने नेता को जिम्मेदारी दी, हिंदी को अनिवार्य किया और फैसले पर हस्ताक्षर भी किए. और अब उसी पर जश्न मना रहे हैं!"

ठाकरे ब्रदर्स को देने होंगे सवालों के जवाब

मगर इस पूरी कवायद का परिणाम क्या निकलेगा? क्या उद्धव और राज ठाकरे साथ आएंगे? क्या दोनों गठबंधन करेंगे या फिर एक ही पार्टी में काम करेंगे? महाविकास अघाड़ी के बाकी घटक दल क्या करेंगे? क्या राज ठाकरे को भी कांग्रेस और शरद पवार स्वीकार करेंगे? अगर ऐसा हुआ भी तो निकाय चुनाव में महाविकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा कैसे होगा? इन सभी सवालों के जवाब उद्धव और राज ठाकरे को आज अपने कार्यकर्ताओं, नेताओं और जनता को देने होंगे. क्योंकि 20 साल बाद इस मिलन का मकसद ठाकरे ब्रदर्स को आम जनता तक पहुंचाने का ये सबसे बड़ा मौका है.

Jul 05, 2025 05:30 (IST)

राज ठाकरे को भी धोखा देंगे: रवि राणा

मराठी हिंदी भाषा को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ भव्य रैली के फैसले पर भाजपा विधायक रवि राणा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "अच्छी बात है, मराठी के मुद्दे के पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी काम कर रहे हैं. प्रदेश सरकार ने प्रदेश में मराठी मुद्दे को स्थापित किया है. मराठी स्कूल, मराठी जिला परिषद अन्य चीजों के लिए सबसे ज्यादा पैसा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिया है. आज उद्धव ठाकरे ने जैसे भाजपा को धोखा दिया, वैसे ही जल्द ही राज ठाकरे को भी धोखा देंगे. उद्धव ठाकरे सिर्फ महानगरपालिका, मुंबई चुनाव के कारण राज ठाकरे का उपयोग कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने पूर्व में कई बार राज ठाकरे का अपमान किया. ऐसे में सभी को दिख रहा है कि यह सिर्फ चुनाव के लिए साथ आए हैं."

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