कोविड से बचाव का दो साल का अनुभव: टीका, प्रोटोकॉल पालन ही सबसे प्रभावी

कोरोना वायरस (Coronavirus) के इन दो सालों में एक बात स्पष्ट हुई है कि देश में इससे बचाव का सबसे बेहतर और मजबूत उपाय टीकाकरण (Vaccination) और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना ही है.

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नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) के इन दो सालों में एक बात स्पष्ट हुई है कि देश में इससे बचाव का सबसे बेहतर और मजबूत उपाय टीकाकरण (Vaccination) और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना ही है. कई दवाओं और अन्य तरीकों के इस्तेमाल के बावजूद यह साफ़ है कि अभी तक इस महामारी का कोई ठोस उपचार सामने नहीं आया है. चाहे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हों या अन्य विशेषज्ञ, सबका इस बात पर जोर रहा है कि महामारी के खिलाफ सबसे मजबूर रणनीति जांच, उपचार, टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन ही है. यहाँ तक कि भारत में कोविड-19 की तीनों लहरों में उपचार का तरीका एक सा ही रहा है.

याद करें तो देश में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी, 2020 को केरल में तब सामने आया था जब वुहान विश्वविद्यालय में मेडिकल की तीसरी वर्ष की छात्रा कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद सेमेस्टर छुट्टियों में घर लौटी थी. इसके बाद के इन दो सालों में कोविड-19 से निपटने के लिए कई तरह के उपचार प्रयोग हुए लेकिन सच यह है कि इनमें से उपचार का कोई व्यापक स्वीकार्य तरीका नहीं है. कोविड-19 और इसके हालिया वैरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने के लिए टीकाकरण ही सबसे कारगर साबित होता दिखा है.

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स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने भी शनिवार को कहा कि कोविड-19 का चाहे जो भी स्वरूप हो, लेकिन कोविड-19 प्रबंधन के लिए ‘जांच, निगरानी, उपचार, टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन' ही सबसे पुख्ता रणनीति है.

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हाल में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने भी एक संवाददाता सम्मेलन में दवाओं के 'अत्यधिक इस्तेमाल और दुरूपयोग' पर चिंता जताई थी. देश में कोविड-19 के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी, रेमडेसिविर, डीआरडीओ के कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) और हाल में मोलनुपिराविर का इस्तेमाल किया गया लेकिन कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए कोई पुख्ता दवा नहीं मिली. इसके बाद भारत में कोविड-19 की तीन लहरें आईं,  लेकिन इस दौरान उपचार का तरीका कमोवेश एक जैसा रहा.

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इस मसले पर उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक डॉ. सुचिन बजाज ने कहा कि न केवल कोविड-19 बल्कि ठंड से जुड़ी बीमारियों का मुकाबला करने में आयुष की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बजाज ने कहा - 'फेफड़ा की क्षमता बढ़ाने और मजबूती बढ़ाने के लिए योग में कई तरह के आसन हैं. साथ ही मस्तिष्क को शांति देने के लिए ध्यान का बड़ा महत्व है क्योंकि हमने देखा है कि भय, चिंता और निराशा कोविड-19 के साथ ही साथ आते हैं.'

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उधर जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट के मुख्य योग अधिकारी डॉ. राजीव राजेश ने कहा - 'मानव शरीर में संरक्षण, स्व-विनियमन, मरम्मत और अस्तित्व बनाए रखने की स्वाभाविक क्षमता होती है लेकिन नियमित चुनौतियों से निपटने में कुछ अतिरिक्त की जरूरत होती है. इसके लिए योग से मदद मिलती है.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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