सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक बहाल कर दिया है. इससे पहले कंपनी ने संघ के कई बड़े नेताओं के निजी अकाउंट को अनवेरिफाई किया था. लेकिन इस पर विवाद काफी बढ़ गया. यही नहीं, देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पर्सनल अकाउंट से भी ब्लू टिक (Verify Blue Tick Account) हटाते हुए कहा था कि 6 महीने से अकाउंट लॉगइन नहीं हुआ था. सूत्रों के मुताबिक, ट्विटर ने कहा था कि छह महीने से लॉगइन नहीं हुआ इसलिए हटा दिया गया.
कृष्ण गोपाल, सुरेश जोशी के अकाउंट में भी ट्विटर वेरीफाइड का ब्लू टिक दिखा रहा है. हालांकि सुरेश सोनी का अकाउंट अभी भी अनवेरिफाइड है. ट्विटर ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अकाउंट का ब्लू टिक पहले ही बहाल कर दिया था. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की कड़ी नाराजगी के बाद ट्विटर ने अपना कदम वापस लिया है. नई आईटी नियमों को लेकर ट्विटर और सरकार के बीच चल रहे विवाद के मध्य कंपनी ने यह कदम उठाया. इसे लेकर काफी आलोचना हो रही है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कई बड़े नेताओं के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) को हटाया गया. था.इनमें सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी और संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार शामिल हैं. संघ नेता सुरेश जोशी और कृष्णगोपाल के हैंडल से भी ट्विटर ने ब्लू टिक हटाया गया था. सूत्रों ने कहा कि ट्विटर का यह तर्क गलत है कि ये अकाउंट छह महीने से इनऐक्टिव थे, लेकिन अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के निधन के बाद भी अकाउंट वेरीफाइड हैं. ट्विटर ने कहा कि 6महीने से लॉगइन नहीं हुआ इसलिए हटा दिया गया.
सूत्रों ने कहा कि वेंकैया नायडू के ट्विटर एकाउंट से वेरिफिकेशन हटाने से आईटी मंत्रालय नाराज है. ये ट्विटर की गलत मंशा है कि देश के नंबर 2 अथॉरिटी के साथ ये सलूक किया गया. वाइस प्रेसिडेंट राजनीति से ऊपर हैं. वे संवैधानिक पद पर हैं. क्या ट्विटर अमेरिका के संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर सकता है? ट्विटर ये देखना चाहता है कि भारत इस मामले में किस हद तक धैर्य दिखाता है.
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय उपराष्ट्रपति के वेरिफिकेशन के मुद्दे पर आज ट्विटर को नोटिस जारी कर सकता है. सरकार पूछ सकती है कि बिना पूर्व सूचना के ब्लू टिक क्यों हटाया गया. यह संवैधानिक पद की अवमानना है.
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