उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद पर जारी विवाद के बीच बुधवार को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनिल अंबेडकर ने कहा कि समय आ गया है कि ऐतिहासिक तथ्यों को हम समाज के आगे सही परिपेक्ष्य में पेश करें. संगठन की ओर से आयोजित दवर्षि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में बोलते हुए अंबेडकर ने कहा, " ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है. तथ्य सामने आ रहे हैं. मेरा विश्वास है कि उन्हें सामने आना भी चाहिए. परिस्थिति चाहे कोई भी हो सच आखिरकार सामने आ ही जाता है. मेरा मानना है कि अब समय आ चुका है कि हम समाज के आगे सही परिपेक्ष्य में ऐतिहासिक तथ्यों को रखें."
सोमवार को खत्म हुआ सर्वे का काम
मालूम हो कि कोर्ट की आदेश के बाद शुरू हुआ ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर का सर्वे तीन दिनों बाद बीते समवार को संपन्न हो गया है. हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्या ने ये दावा किया है कि कमेटी ने मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाया है. मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत आयोग के साथ गए आर्य ने कहा कि उन्हें "निर्णायक सबूत" मिले हैं.
कोर्ट ने जिलाधिकारी को दिया आदेश
इधर, सर्वेक्षण के समापन के बाद, वाराणसी की अदालत ने वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को आदेश दिया, “ जहां शिवलिंग पाया गया था, उस क्षेत्र को सील कर दिया जाए. साथ ही लोगों को उस स्थान पर जाने से रोका जाए.”
हालांकि, मंगलवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी डीएम को आदेश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि जिस जगह कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया है, उसे बचाया जाए. लेकिन ऐसा करने में मुस्लिम समुदाय के पूजा के अधिकार का हनन ना हो इसका भी ध्यान रखा जाए.
दरअसल, जिस जगह शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, वो एक तालाब है, जिसका इस्तेमाल मस्जिद में आए लोग वजू (वो प्रक्रिया को इस्लाम धर्म को मानने वालो लोग नमाज पढ़ने से पहले खुद के शुद्धिकरण के लिए करते हैं) के लिए करते थे.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)