त्रिशूल अभ्यासः भविष्य की जंग के लिए पहले से ज़्यादा मुस्तैद सेनाएं

नौसेना की पश्चिमी कमान की अगुवाई में थल सेना के दक्षिणी कमान और वायुसेना की दक्षिण पश्चिम कमान ने साथ मिलकर इस सैन्य अभ्यास को अंजाम दिया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

गुजरात के पोरबंदर के माधवपुर तट पर आयोजित एम्फीबियस ऑपरेशन के साथ ही पिछले करीब दो हफ्ते से जारी त्रिशूल युद्धाभ्यास का समापन हो गया. सेना के तीनों अंगों का यह अभ्यास ऑपरेशन सिन्दूर से मिले सबक और पश्चिमी सीमाओं पर उभरती चुनौतियों के बीच आयोजित हुआ. तीनों सेनाओं के इस युद्धाभ्यास के बाद सेना का कहना है कि त्रिशूल के बाद तीनों सेनाओं की संयुक्त युद्ध क्षमता नये स्तर पर आ गई है. 30 अक्टूबर से शुरू हुआ यह युद्धाभ्यास 13 नवंबर तक चला. इस दौरान सेनाओं ने कोशिश की कि आपस में मिलकर लड़ने की क्षमता कैसे और बेहतर की जाए. तीनों सेनाओं की गर्जना से सीधा संदेश सीमा पार भी गया.

नौसेना की पश्चिमी कमान की अगुवाई में थल सेना के दक्षिणी कमान और वायुसेना की दक्षिण पश्चिम कमान ने साथ मिलकर इस सैन्य अभ्यास को अंजाम दिया. यह अभ्यास गुजरात के सरक्रीक, राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके और उत्तर अरब सागर तक फैला हुआ था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार तीनों सेनाओं ने एक साथ इतने बड़े पैमाने पर अपनी सैन्य तैयारी को परखा. पुरानी कमियां दूर कर अपनी रणनीति को और ज्यादा निखारा.

इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच सहयोग, समन्वय और एकीकृत युद्ध-तैयारी को और मजबूत करना था . यह अभ्यास की सफलता का ही नतीजा रहा कि सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने कहा कि भारतीय सेना भविष्य के किसी भी युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है.

इस अभ्यास में सेना 30,000 से अधिक सैनिक शामिल थे. साथ ही टी-90 टैंक से लेकर  इन्फैंट्री कॉम्बैट के तमाम हथियारों ने भी अपना कौशल दिखाया. वहीं नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की अगुवाई में 25 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियां, और वायुसेना के रफाल और सुखोई  जैसे लड़ाकू विमान शामिल हुए. इसके अलावा स्वदेशी ड्रोन्स और कई सारी निगरानी प्रणालियों के साथ अभ्यास किया गया.

सीधे तौर पर कहें तो तीनों सेनाओं ने आपसी सामंजस्य को बेहतर कर मल्टी डोमेन ऑपरेशन को अंजाम देने की लाइव प्रैक्टिस की. इस युद्धाभ्यास में जमीन, समुद्र, आकाश, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक्षेत्रों को एकीकृत करते हुए  रियल सिचुएशन तैयार की गई, ताकि सेनाएं वास्तविक युद्ध जैसी चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपट सकें.

अभ्यास के दौरान सेना के तीनों अंगों ने मिलकर  दुश्मन के काल्पानिक ठिकाने तबाह कर उन पर जीत का परचम लहराया. स्वदेशी ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम ने सटीक मारक क्षमता दिखाकर शानदार प्रदर्शन किया. साफ है अब सेना की तैयारी केवल पारंपरिक युद्ध के लिये ही नहीं, बल्कि वह हाएब्रिड और नेटवर्क-सेंट्रिक जंग के लिए भी पूरी तरह तैयार है.  

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election Results: बिहार चुनाव में NDA की सुनामी पर क्या बोले PM Modi? Syed Suhail | RJD | JDU
Topics mentioned in this article