ट्रांसजेंडर गर्ल ने बिकिनी में शेयर की फोटो तो स्कूल ने दिखाया बाहर का रास्ता, मां ने CM हिमंत बिस्वा को लिखा पत्र

बच्ची की मां ने गुवाहाटी के प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल पर अपनी बेटी को "बदनाम करने", "कमतर आंकने" और "मजाक उड़ाने" और "उसकी सच्चाई और अस्तित्व" को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
गुवाहाटी:

"मेरी बेटी का जन्म पुरुष के शरीर में हुआ लेकिन उसने अपने लिए संघर्ष का यह जीवन नहीं चुना था, जहां उसे धमकाया जा रहा है और उससे नफरत की जा रही है. असम में उसके स्कूल में हुई हाल ही घटना ने हमारे युवाओं की सुरक्षा और पोषण के लिए बनी संस्थाओं में हमारे विश्वास की जड़ को हिला दिया है... स्कूल, जहां बच्चे नई चीजे सीखने जाते हैं वो ही उन्हें जज कर रहा है... यह मेरी बेटी की दुर्दशा है, एक ऐसी दुर्दशा जो कई अन्य लोगों की भी रही होगी..." यह गुवाहाटी की एक महिला द्वारा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लिखे गए पत्र के अंश हैं, जो उन्होंने अपनी 17 वर्षीय ट्रांसजेंडर बेटी की बिकनी पहने स्विमिंग पूल में ली गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद लिखा था, जिसके कारण उसे पिछले महीने स्कूल छोड़ना पड़ा था.

मां ने बेटी को बदनाम करने का लगाया आरोप

बच्ची की मां ने गुवाहाटी के प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल पर अपनी बेटी को "बदनाम करने", "कमतर आंकने" और "मजाक उड़ाने" और "उसकी सच्चाई और अस्तित्व" को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है. वहीं इस पर स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि ये तस्वीरें "अश्लीलता व्यक्त करती हैं" और उन्होंने केवल इतना कहा था कि पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा दिया जाए.

9 जून की है घटना

एक ओर विश्वभर में जून को प्राइड मंथ के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है तो वहीं दूसरी ओर 9 जून को पारिवारिक अवकाश के दौरान खींची गई बिकनी पहने ट्रांसजेंडर लड़की की तस्वीरें, जिन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, न केवल स्कूल और उसके परिवार के बीच विवाद का विषय बन गईं, बल्कि भारत में शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक समावेशिता के मुद्दे पर भी सवाल उठाने लगी है. परिवार ने मुख्यमंत्री सरमा से कई बदलावों की मांग की है, जिसमें स्कूलों में जेंडर इंक्लूसिव यूनिफोर्म के साथ विविधता को अपनाने से लेकर बदमाशी और उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने तक शामिल है.

26 जून को मामले में ASCPCR ने की सुनवाई शुरू

इसके अलावा, राज्य के ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड ने असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एएससीपीसीआर) से कहा है कि "कोई भी बच्चे के शरीर और उसकी तस्वीर का यौन शोषण नहीं कर सकता है". 26 जून को एएससीपीसीआर ने मामले की सुनवाई शुरू की, जिसमें ट्रांसजेंडर लड़की के परिवार ने घटना के बारे में बताया. आयोग के अध्यक्ष श्यामल प्रसाद सैकिया ने कहा, "हमने शिकायतकर्ता की बात सुनी और अब स्कूल अधिकारियों को बुलाएंगे. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद हम एक निश्चित तारीख पर बैठक करेंगे. इसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी."

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ट्रांसजेंडर लड़की द्वारा तस्वीरें पोस्ट करने के एक दिन बाद 10 जून को स्कूल प्रिंसिपल ने रात 9 बजे माता-पिता को फ़ोन किया. छात्रा की मां ने बताया कि फोन पर प्रिंसिपल ने कहा, "आपकी बेटी घिनौनी और शर्मनाक है. कल आकर उसे मेरे स्कूल से ले जाएं..." स्कूल प्रबंधन ने कहा कि उन्होंने 17 वर्षीय छात्रा की देखभाल की है और उसे कुछ छात्रों द्वारा बदमाशी से बचाने के अलावा उसकी काउंसलिंग भी की है.

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प्रिंसिपल ने कही ये बात

प्रिंसिपल ने कहा कि जब छात्रा ने स्विमसूट में "अश्लीलता व्यक्त करते हुए" तस्वीरें पोस्ट कीं, तो स्कूल ने अकादमिक जगत में "बदनामी" का सामना किया और स्कूल "इस तरह के व्यवहार" को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि स्कूल का कभी भी छात्रा को निशाना बनाने का इरादा नहीं था और उन्होंने उनसे केवल पोस्ट हटाने के लिए कहा था.

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छात्रा के परिवार का है ये आरोप

हालांकि, छात्रा के परिवार ने स्कूल पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिकनी फोटो का मुद्दा उसे स्कूल से निकालने का बहाना था. उन्होंने आरोप लगाया कि वह अपने जेंडर के कारण निशाना बनी. मां ने कहा, "स्कूल को लड़कों द्वारा पोस्ट की गई ऐसी ही तस्वीरें घृणित या शर्मनाक नहीं लगतीं. यह उनकी बीमार मानसिकता को दर्शाता है." 

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पत्र में मां ने कही ये बात

पत्र में कहा गया है, "रात में प्रिंसिपल का फोन कॉल उन संघर्षों की याद दिलाता है, जिनका हम अभी भी सामना कर रहे हैं. उनके सोशल मीडिया, जो व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का एक माध्यम है, की छानबीन की गई और उस पर लांछन लगाया गया. एक पारिवारिक पूल आउटिंग, मासूम खुशी का एक पल, सिर्फ़ इसलिए शर्मनाक हो गया क्योंकि मेरी बेटी ने बिकनी पहनी थी."

उसकी मां ने कहा, "हमने स्कूल से स्थानांतरण प्रमाणपत्र मांगा क्योंकि उसे शर्मिंदा किया गया और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. हमने उसे ऐसे जहरीले माहौल से दूर रखने का फैसला किया," उन्होंने आगे कहा कि परिवार स्कूल से सार्वजनिक रूप से माफ़ी चाहता है. अब, उसे एक पूरा अकादमी साल गंवाना पड़ सकता है क्योंकि उसे चल रहे सेशन के बीच स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी किया गया था.

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