- भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता दस दिसंबर से दिल्ली में फिर से शुरू होगी.
- डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से चावल के आयात पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे व्यापार प्रभावित हो सकता है.
- दोनों देशों का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 190 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक ले जाना है
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता (Trade Talks) 10 दिसम्बर से दिल्ली में फिर शुरू होगा. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप-अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) रिक स्वित्ज़र करेंगे. वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस बातचीत को दोनों देशों के बीच सातवें दौर की बातचीत के तौर पर नहीं देखना चाहिए.
ये वार्ता ऐसे समय पर शुरू हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वह भारत से चावल के आयात पर नए टैरिफ लगा सकते हैं. ट्रंप ने यह टिप्पणी मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक बैठक के दौरान की, जहां उन्होंने अमेरिकी किसानों के लिए अरबों डॉलर के कृषि राहत पैकेज का ऐलान किया और भारत और कुछ दूसरे एशियाई देशों से कृषि आयात की तीखी आलोचना की.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद भारतीय एक्सपोर्टरों पर अतिरिक्त टैरिफ की तलवार फिर लटक गयी है. सितम्बर, 2025 से भारत से अमेरिका निर्यात होने वाले चावल पर 50% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू है. अब ट्रंप के ताज़ा बयान के बाद भारत से करीब 3150 करोड़ का चावल एक्सपोर्ट व्यापार धीमा पड़ने की आशंका है.
भारत-अमेरिका ट्रेड ट्रेड वार्ता पर वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने 28 नवम्बर को कहा था कि, "भारत अमेरिका के साथ दो मोर्चों पर व्यापार वार्ता कर रहा है. अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) पर बातचीत चल रही है. इसके साथ ही, रेसिप्रोकल टैरिफ़ मुद्दे को सुलझाने के लिए एक रूपरेखा व्यापार समझौते (Framework Trade Deal) पर अलग से बातचीत हो रही है. अमेरिका के साथ समानांतर बातचीत चल रही है. रेसिप्रोकल टैरिफ़ मुद्दे को सुलझाने के लिए हम एक रूपरेखा व्यापार समझौते ((Framework Trade Deal) के बहुत करीब हैं. सही रास्ता ढूंढने में बस कुछ ही समय लगेगा. हमें उम्मीद है कि इसी कैलेंडर वर्ष में कोई समाधान निकल आएगा".
भारत का मानना है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौता (Bilateral Trade Agreement) तभी लाभदायक होगा जब अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) में काफ़ी समय लगेगा. भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) के कई चरण होंगे. पहले चरण में पारस्परिक शुल्कों (Reciprocal Tariffs) के मुद्दे पर मुख्य फोकस होगा.
वाणिज्य मंत्रालय ने 17 नवम्बर को भारत और अमेरिका के बीच व्यापार के ताज़ा आकड़े जारी करते हुए कहा था कि अप्रैल-अक्टूबर, 2025 की अवधि के दौरान अमेरिका भारतीय एक्सपोर्टरों के टॉप डेस्टिनेशन बना रहा. भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट अप्रैल-अक्टूबर, 2024 के दौरान 47.32 अरब अमेरिकी डॉलर था जो अप्रैल-अक्टूबर, 2025 के दौरान बढ़कर 52.12 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया.
हालांकि, इस साल अक्टूबर महीने के दौरान कुछ गिरावट दर्ज़ हुई है. अक्टूबर, 2024 में भारत से अमेरिका कुल एक्सपोर्ट 6.9 अरब अमेरिकी डॉलर था जो अक्टूबर, 2025 में घटकर 6.3 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया.
दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत इस साल मार्च के आखिरी हफ्ते में शुरू हुई थी. 13 फरवरी, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अक्टूबर-नवंबर, 2025 तक बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) के पहले tranche को तैयार करने को लेकर समझौता हुआ था.
भारत और अमेरिका प्रस्तावित बिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए जो द्विपक्षीय व्यापार को मौजूद 190 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 बिलीयन डॉलर तक बढ़ाना चाहते हैं. भारत और अमेरिका के वार्ताकारों के बीच अब तक 6 दौर की वार्ता हो चुकी है, अंतिम दौर की बातचीत 15-17 अक्टूबर, 2025 को वाशिंगटन में हुई.














