- ओडिशा में माओवादियों की केंद्रीय समिति के वरिष्ठ सदस्य गणेश उइके समेत 6 नक्सलियों को मार गिराया गया
- गणेश उइके पर 1.1 करोड़ रुपये का इनाम था और वह 2013 के झीरम घाटी नरसंहार का मास्टरमाइंड था
- अमित शाह ने इसे नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में मील का पत्थर बताया और मार्च तक लक्ष्य पूरा करने का संकल्प जताया
देश से नक्सलवाद खत्म करने की दिशा में गुरुवार को एक बड़ी कामयाबी मिली. ओडिशा में सुरक्षा बलों ने माओवादी संगठन को करारा झटका देते हुए CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सीनियर मेंबर और ओडिशा ऑपरेशंस के प्रमुख गणेश उइके समेत 6 नक्सलियों को मार गिराया. 69 वर्षीय गणेश के ऊपर 1.1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. वह छत्तीसगढ़ में 2013 के झीरम घाटी नरसंहार का मास्टरमाइंड था, जिसमें कई सीनियर कांग्रेस नेता मारे गए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है.
सीमा सुरक्षा बल (BSF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त कार्रवाई में यह कामयाबी मिली. सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि गणेश उइके देश के सबसे वॉन्टेड माओवादी नेताओं में से एक था. 2013 के झीरम घाटी नरसंहार के अलावा वह कई राज्यों में कई हाई-प्रोफाइल माओवादी हमलों में भी शामिल था.
कौन था गणेश उइके?
- मूल रूप से तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाले गणेश वह करीब 4 दशकों से माओवादी आंदोलन में एक्टिव था.
- उसे पक्का हनुमंतू, राजेश तिवारी और रूपा जैसे कई नामों से जाना जाता था.
- वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) का प्रमुख चेहरा और केंद्रीय नेतृत्व व स्थानीय इकाइयों के बीच की मुख्य कड़ी था.
- उसे कुछ साल पहले प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय समिति में शामिल किया गया था.
- पिछले तीन साल से वह ओडिशा के कंधमाल इलाके में एक्टिव था.
- वह गुरिल्ला गतिविधियों का समन्वय कर रहा था और माओवादी नेटवर्क मजबूत कर रहा था.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि ओडिशा के कंधमाल में चलाए गए एक बड़े अभियान में केंद्रीय समिति के मेंबर गणेश उइके समेत छह नक्सलियों को मार गिराया गया है. इस बड़ी कामयाबी के साथ ही ओडिशा नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होने के कगार पर है. हम 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
बासवराज, हिडमा के अंत के बाद बड़ी उपलब्धि
यह ऑपरेशन केंद्र सरकार के मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. इस साल सुरक्षा बलों ने माओवादियों को लगातार बड़े झटके दिए हैं, जिसमें मई में महासचिव बासवराज और नवंबर में कमांडर माडवी हिडमा का सफाया शामिल है. गणेश उइके की मौत के बाद अब सेंट्रल कमेटी में केवल दो प्रमुख सदस्य मल्लराज रेड्डी और एनल दा ही बचे हैं.
झीरम घाटी नरसंहार
25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में हुए झीरम घाटी नरसंहार को भारत का सबसे भीषण नक्सली हमला माना जाता है. इस हमले में नक्सलियों ने कांग्रेस की 'परिवर्तन यात्रा' के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था और राज्य के शीर्ष नेतृत्व को लगभग खत्म कर दिया था. इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और अन्य प्रमुख नेताओं समेत कुल 32 लोग मारे गए थे. ये सभी सुकमा में रैली करके जगदलपुर वापस लौट रहे थे.
ऐसे हुआ सफाया
बीएसएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त टीमों को कंधमाल के जंगल में माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. अधिकारियों के मुताबिक, सुबह करीब 9 बजे कंधमाल-गंजम सीमा पर राम्पा जंगल में माओवादियों से मुठभेड़ शुरु हुई. नक्सलियों ने फायरिंग शुरू की, सुरक्षा बलों ने जवाब दिया. घंटों चली गोलीबारी में 6 माओवादी मारे गए. मारे गए नक्सलियों में 2 महिला कैडर भी हैं. मौके से दो इंसास राइफल और एक .303 राइफल जैसे घातक हथियार भी मिले हैं.














