सिक्किम में बारिश का कहर, NH-10 जलमग्न, उफान पर तीस्ता, जानें हिमाचल और उत्तराखंड में कैसे हालात

हिमाचल में अब तक कुल 170 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 94 लोगों की मौत बारिश से जुड़े हादसों – भूस्खलन, मकान ढहने और अचानक बाढ़ जैसी घटनाओं में हुई है, जबकि 76 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई है, जिनमें अधिकतर घटनाएं फिसलन, मलबा गिरने और दृश्यता कम होने के कारण हुईं.

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  • दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मॉनसून की झमाझम बारिश से मौसम सुहावना
  • सिक्किम में तीस्ता नदी के उफान और भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-10 का बड़ा हिस्सा जलमग्न
  • हिमाचल प्रदेश में 343 सड़कें बंद, 186 जलापूर्ति योजनाएं ठप और 551 पावर ट्रांसफॉर्मर खराब
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नई दिल्ली:

दिल्ली समेत लगभग पूरे उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मॉनसूनी बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दिलाई है, लेकिन दूसरी ओर हिमालयी राज्यों – सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बारिश अब आफ़त बनकर बरस रही है. जहां दिल्ली-एनसीआर में मौसम सुहावना है, वहीं पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने जनजीवन को प्रभावित किया है. कुछ जगहों पर तो हालत इतने बदतर हो चुका है कि सड़क संपर्क टूट गया है, बिजली-पानी की आपूर्ति ठप है और जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. आइए जानते हैं इस वक्त कौन से राज्य में कैसे हालात है.

उत्तर भारत में मौसम मेहरबान

दिल्ली-एनसीआर समेत लगभग पूरे उत्तर भारत में कल रात से हो रही झमाझम बारिश ने मौसम सुहावना बना दिया है. इसी के साथ आज दिल्ली के लोगों की सुबह की शुरुआत कूल-कूल मौसम और चाय की गर्म चुस्कियों के साथ हुई. देर से लगातार हो रही बारिश ने न सिर्फ लोगों को गर्मी से राहत दी बल्कि उमस से भी निजात दिलाई. कल शाम से ही दिल्ली में हल्की बूंदा-बांदी होने लगी थी, लेकिन रात होते-होते तेज बारिश का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि अभी तक चल रहा है. बारिश ने भले ही लोगों को गर्मी से राहत दी हो लेकिन कई जगहों पर ट्रैफिक की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है.

सिक्किम में बारिश बनी आफत

सिक्किम में तेज बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है. राज्य की लाइफ लाइन माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-10 (NH-10) का एक बड़ा हिस्सा तीस्ता नदी के उफान के चलते 29 माइल क्षेत्र में जलमग्न हो गया, जिससे सिक्किम का मुख्य सड़क संपर्क पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और कलिम्पोंग से टूट चुका है. यह तबाही तब और बढ़ गई जब बरदांग (सिंगतम और रंगपो के बीच) में एक भीषण भूस्खलन ने रास्ते को पूरी तरह बंद कर दिया. वहीं तार खोला, रामोम तीस्ता ब्रिज (अपर जोंगू), सिंगतम-डिकचू रोड, नामथांग-नामची, और दलपचंद–चागेलखा जैसे कई भीतरी इलाके भी या तो बंद हो चुके हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं.

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गंगटोक शहर के पानी हाउस इलाके में भूस्खलन के चलते कई वाहन मलबे में दब गए हैं. तेज बारिश और नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण स्थानीय लोगों के लिए जरूरी चीजों की सप्लाई भी प्रभावित हो गई हैं. हालांकि फिलहाल वैकल्पिक मार्ग – लावा और गोरूबथान – अभी खुले हैं, लेकिन वहां भी भारी ट्रैफिक और खराब मौसम के कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित है. मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे के लिए बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, खासकर सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी जिलों के लिए. प्रशासन ने यात्रियों से प्रभावित मार्गों से बचने और नदियों-नालों के पास न जाने की सख्त सलाह दी है.

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हिमाचल में राहत और चेतावनी साथ-साथ,

हिमाचल प्रदेश में भी मॉनसून की बारिश जमकर कहर बरपा रही है. हालांकि एक राहत की बात ये है कि भूस्खलन की स्थिति नियंत्रण में है. राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के मुताबिक मंडी, कांगड़ा, शिमला और सोलन जिलों में कुल 22 भूस्खलन संभावित स्थलों की निगरानी की जा रही है, जिनमें से 18 स्थानों पर ‘लो रिस्क' और सिर्फ 4 स्थानों पर ‘मॉडरेट रिस्क' दर्ज किया गया है. इनमें जुतोग (शिमला), डगशाई और डक्शी (सोलन), तथा टत्तापानी और सनारली-2 (मंडी) प्रमुख हैं. अब तक 343 सड़कें बंद हैं, 186 जलापूर्ति योजनाएं ठप, और 551 पावर ट्रांसफॉर्मर खराब हैं, जिससे कई इलाकों में बिजली और पानी संकट पैदा हो गया है.

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हिमाचल में अब तक कुल 170 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 94 लोगों की मौत बारिश से जुड़े हादसों – भूस्खलन, मकान ढहने और अचानक बाढ़ जैसी घटनाओं में हुई है, जबकि 76 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई है, जिनमें अधिकतर घटनाएं फिसलन, मलबा गिरने और दृश्यता कम होने के कारण हुईं. प्रशासन की तरफ से स्थानीय प्रशासन, NDRF और आपदा प्रबंधन टीमें चौबीसों घंटे अलर्ट पर हैं, और लोगों को सावधानी बरतने, अनावश्यक यात्रा न करने और सरकारी चेतावनियों पर ध्यान देने की सलाह दी गई है. 

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उत्तराखंड – नदियों में उफान, प्रशासन अलर्ट पर

उत्तराखंड में भी बारिश का कहर तेज़ होता जा रहा है और पहाड़ी जिलों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. नतीजतन IMD ने राज्य के लिए 1 अगस्त तक येलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें भारी बारिश, गरज-चमक, तेज़ हवाएं और बिजली गिरने की संभावना है. देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, चमोली, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जैसे ज़िलों में हालात संवेदनशील बने हुए हैं. कई क्षेत्रों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच रहा है. खासतौर पर चमोली ज़िले में अलकनंदा का बहाव बेहद रौद्र रूप ले चुका है, जिससे वहां के प्रशासन और स्थानीय निवासियों में दहशत है. चमोली पुलिस ने सोशल मीडिया पर एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों को नदी किनारे जाने से साफ मना किया है. 

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