"भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लिए संस्थानों को उद्योग से जोड़ना होगा" : यूपी CM

मुख्यमंत्री ने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘‘यह दीक्षांत समारोह प्राचीन भारत के विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के समावर्तन समारोह का परिवर्तित रूप है. प्राचीन भारत के विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के स्नातकों के लिए शोध एवं विकास के बेहतरीन केंद्र थे.’’

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मुख्यमंत्री ने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं को शुभकामनाएं दीं.
नोएडा:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि भारत को 2047 तक 'विकसित' देश बनाने के लिए संस्थानों को उद्योगों के साथ जोड़ना होगा. उन्होंने यहां बैनेट यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 140 करोड़ से अधिक भारतीयों को अगले 25 वर्षों में देश को विश्व शक्ति बनाने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.

योगी ने कहा, ‘‘ देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए हमें अपने संस्थानों को उद्योग के साथ जोड़ना ही होगा. अगले 25 वर्षों के लिए हमें अपना लक्ष्य तय करना होगा.'' उपस्थित शिक्षाविदों और युवा स्नातकों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, '' जब देश की 142 करोड़ की आबादी एक स्वर से आगे बढ़ने के संकल्प के साथ उठ खड़ी होगी तो कोई कारण नहीं कि हमारा देश विकसित भारत न बने.''

कार्यक्रम में बैनेट यूनिवर्सिटी के कुलपति विनीत जैन, उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, लोकनिर्माण विभाग राज्य़मंत्री ब्रजेश सिंह, विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर अजित अब्राह्म और ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत आदि ने भी शिरकत की.

विश्वविद्यालय ने कामत को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की. इससे पहले मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधरोपण किया। सीएम योगी का स्वागत विश्वविद्यालय के कुलपति ने अंगवस्त्रम पहनाकर किया।इस अवसर पर बीटेक के एक छात्र ने मुख्यमंत्री को श्रीराम दरबार का चित्र भेंट किया.

मुख्यमंत्री ने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘‘यह दीक्षांत समारोह प्राचीन भारत के विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के समावर्तन समारोह का परिवर्तित रूप है. प्राचीन भारत के विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के स्नातकों के लिए शोध एवं विकास के बेहतरीन केंद्र थे.''

मुख्यमंत्री ने तैतरीय उपनिषद के श्लोक ‘सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः' की चर्चा करते हुए कहा कि सत्य बोलना, धर्म का आचरण करना, सत्य के मार्ग से न हटना, महान बनने के अवसर से न चूकना, पठन-पाठन से आलस न करना, माता- पिता, गुरुजनों और अतिथि को देवता की तरह सम्मान देना, यह हर स्नातक से भारत की अपेक्षा रहती थी.

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उन्होंने कहा ,‘‘ जब हम इस संस्कार के साथ डिग्री देते थे तो भारत दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में स्थापित था.''

मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘ सामान्य जीवन में जिसे हम धर्म कहते हैं वह वास्तव में धर्म नहीं है, यह मात्र उसका एक भाग हो सकता है. हम उपासना विधि को धर्म नहीं मान सकते। यह व्यक्तिगत कार्य है। धर्म एक व्यापक अवधारणा है, जो हमें कर्तव्यों, नैतिक मूल्यों के साथ सदाचार के मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है.''

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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के पंच प्रण की चर्चा करते हुए कहा कि ये हर भारतवासी का संकल्प बनना चाहिए, फिर चाहे वह जिस भी क्षेत्र में कार्य कर रहा हो.

उन्होंने कहा,‘‘ यह तभी हो पाएगा जब हम सबके सामने देश के लिए नेशन फर्स्ट का विजन हो. हमारा हर काम देश के नाम होना चाहिए। मेरा व्यक्तिगत, मेरा परिवार की भावना को देश के बाद रखना होगा.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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