उच्चतम न्यायालय ने मवेशियों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अनुब्रत मंडल की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को 27 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने निचली अदालत को 22 फरवरी को मामले की सुनवाई पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया.
मंडल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले में चार आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं और टीएमसी नेता को छोड़कर सभी आरोपी जेल से बाहर हैं.
उन्होंने अदालत को बताया कि मंडल पिछले डेढ़ साल से जेल में हैं, जबकि मामले के मुख्य आरोपी को जमानत मिल चुकी है. रोहतगी ने अदालत को बताया, ''मामले में 309 गवाह हैं. मैं (मंडल) एकमात्र व्यक्ति हूं, जो जेल में हूं, जबकि अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है.''
उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मंडल एक बेहद प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ में शामिल थे.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पिछले साल जनवरी में मंडल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. टीएमसी नेता ने उस समय यह कहते हुए जमानत मांगी की थी कि वह 145 दिनों से अधिक समय से हिरासत में हैं.
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मंडल को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह एक प्रभावशाली राजनीतिक पद पर बने हुए हैं और उनका न केवल समाज में, बल्कि राज्य प्रशासन पर भी जबरदस्त प्रभाव है.
वहीं, सीबीआई ने दावा किया था कि मंडल बीरभूम जिले से बांग्लादेश तक मवेशियों की तस्करी के मुख्य सूत्रधार हैं, जबकि मंडल के वकीलों के मुताबिक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला.
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