मुंबई: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि सुनियोजित तरीके से सदन की कार्यवाही बाधित करने की एक नई चलन है, जिसे बदलने का समय आ गया है. यहां 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति को आवाज देने के लिए पर्याप्त जगह है इसलिए व्यवधान को विरोध और असहमति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘सुनियोजित तरीके से सदन की कार्यवाही में बाधा डालने की एक नई चलन है. इसे बदलने का समय आ गया है. राज्य विधानसभाएं, लोकसभा, राज्यसभा चर्चा और संवाद के स्थान हैं."
एआईपीओसी का एजेंडा ‘लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों के विश्वास को मजबूत करना - संसद और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने की आवश्यकता और समिति प्रणाली को और अधिक उद्देश्यपूर्ण और प्रभावी कैसे बनाया जाए' है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से एआईपीओसी को संबोधित किया, जबकि 26 पीठासीन अधिकारियों ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया.
बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कानूनों और नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय समितियां वास्तव में ‘मिनी संसद' हैं और वे संसद की ओर से कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करती हैं और उन्हें जनता के लिए अधिक उपयोगी बनाती हैं.''
उन्होंने राज्य विधानसभाओं से समयबद्ध तरीके से बहस को डिजिटल बनाने का भी आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच' जल्द ही वास्तविकता बन सके.
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