चीन के साथ संबंध के लिए आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, हित का त्रिस्तरीय फार्मूला अहम: भारत

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने 10 मई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बात की और उन्हें पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया.

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भारत ने बृहस्पतिवार को चीन को याद दिलाया कि ‘पारस्परिक' विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता दोनों देशों के संबंधों का आधार हैं. भारत की ओर से यह टिप्पणी पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के साथ चार दिनों तक चले टकराव के दौरान कई चीनी हथियार प्रणालियों का इस्तेमाल करने की पृष्ठभूमि में आई है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने 10 मई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बात की और उन्हें पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया.

जायसवाल से जब यह पूछा गया कि क्या पाकिस्तान को चीन के सैन्य समर्थन से बीजिंग के साथ नयी दिल्ली के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, तो उन्होंने संबंधों के लिए ‘‘पारस्परिक विश्वास, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक संवेदनशीलता'' के महत्व को रेखांकित किया.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं के सवालों का उत्तर दे रहे थे. जायसवाल ने कहा, ‘‘हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 10 मई को एक-दूसरे से बात की थी, जिसमें एनएसए ने पाकिस्तान से जारी सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया था.''

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उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष इस बात से अवगत है कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता भारत-चीन संबंधों का आधार बने हुए हैं.''

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भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य संघर्षों के बाद, भारतीय सेना ने तस्वीरें जारी कीं, जिनमें पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए पीएल-15 मिसाइलों सहित चीनी हथियारों के इस्तेमाल को भी दिखाया गया. पाकिस्तान, चीन का ‘‘घनिष्ठ मित्र'' रहा है तथा झड़पों के दौरान पाकिस्तानी सेना ने चीनी लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया था.

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पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ चीनी हथियारों का इस्तेमाल ऐसे समय में किया गया है जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न गतिरोध के बाद अपने संबंधों को सामान्य बनाने पर विचार कर रहे हैं.

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले अन्य बिंदुओं से सैनिकों को पीछे हटाने के बाद अपने संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं.

गतिरोध के अंतिम दो बिंदुओं डेमचोक और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर समझौता पिछले साल 21 अक्टूबर को हुआ था. पाकिस्तान को तुर्किये द्वारा सैन्य सहयोग करने के एक सवाल पर जायसवाल ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि तुर्किये पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन बंद करने तथा दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कार्रवाई करने का पुरजोर आग्रह करेगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर निर्मित होते हैं.''

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