मुंबई के पुलिस मुख्यालय में पिछले दिनों तीन लोग खुद को केंद्रीय मंत्री के पीए (PA) से जुड़ा बताकर सीधे मुंबई पुलिस कमिश्नर के जनता दरबार में दाखिल हो गए. जांच में मामला फर्जी निकला, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है और एक आरोपी को गिरफ्तार कर नोटिस देकर छोड़ दिया गया है. हर मंगलवार को मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती जनता दरबार लगाते हैं, जहां आम नागरिक अपनी शिकायतें सीधे कमिश्नर के सामने रखते हैं. 28 अक्टूबर की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे, अशोक शाह (58) निवासी सांताक्रूज़, जीतेंद्र व्यास (57) निवासी कांदिवली और धीरेंद्र कुमार व्यास (52) निवासी भायंदर, कमिश्नर ऑफिस पहुंचे. उन्होंने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को बताया कि वे केंद्रीय मंत्री के पीए भरत मन्न की सिफारिश पर कमिश्नर से मिलने आए हैं.
संदेह होने पर जब पुलिस ने उनसे पूछताछ की तो धीरेंद्र व्यास ने कहा कि अशोक शाह किसी वित्तीय ठगी के शिकार हैं और भरत मन्न ने ही कमिश्नर से मिलने का समय तय करवाया है, लेकिन जब अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि किसी भी केंद्रीय मंत्री के पास भरत मन्न नाम का कोई पीए नहीं है.
पुलिस ने आगे जांच करते हुए धीरेंद्र व्यास का मोबाइल फोन खंगाला. उसमें ‘भरत मन्न' नाम से सेव एक नंबर मिला, जिसकी व्हाट्सऐप डीपी पर भारत सरकार का अशोक स्तंभ लगा हुआ था ताकि सामने वाले को सरकारी अधिकारी होने का भ्रम दिया जा सके. सूत्रों के अनुसार, धीरेंद्र व्यास पर इससे पहले भी 2015 में कलाचौकी पुलिस थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज हो चुका है. मामला गंभीर देखते हुए व्यास को कमिश्नर ऑफिस से ही हिरासत में लिया गया और आजाद मैदान पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई. उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 204 (सरकारी पद का झूठा दावा करना), 319 (भेष बदलकर ठगी करना) और 61 (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज हुआ है. पूछताछ के बाद धीरेंद्र व्यास को गिरफ्तार कर नोटिस देकर रिहा कर दिया गया. वहीं अब क्राइम ब्रांच यूनिट 1 ने जांच अपने हाथ में ले ली है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ‘भरत मन्न' नाम से इस्तेमाल किया जा रहा मोबाइल नंबर आखिर किसका है.














