अयोध्या के राम मंदिर से योगी आदित्यनाथ की तीन पीढ़ियों का नाता

योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ को लोग बड़े महाराज कहते थे. वे राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वालों में से एक थे.

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योगी आदित्यनाथ अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से विश्व का सबसे खूबसूरत शहर बनाने में जुटे हैं.
लखनऊ:

योगी आदित्यनाथ दोहरी भूमिका में हैं. वे यूपी के मुख्यमंत्री हैं. साथ ही गोरक्ष पीठ के महंत भी. गोरखनाथ मंदिर में रह कर ही उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा. अपने लिए आक्रामक हिंदुत्व वाली राजनीति का रास्ता चुना. ये भी महज संयोग है कि इनके मुख्यमंत्री रहते हुए अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ. फिर मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई. योगी आदित्यनाथ के गुरू अवैद्यनाथ और दादा गुरू महंत दिग्विजय नाथ का राम मंदिर आंदोलन से गहरा रिश्ता रहा है. 

पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था. मुख्यमंत्री के रूप में अन्य संतों, धर्माचार्यों और गणमान्य लोगों के साथ योगी आदित्यनाथ भी इस मौके पर मौजूद रहे.  केंद्र सरकार की मदद से योगी आदित्यनाथ अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से विश्व का सबसे खूबसूरत शहर बनाने में जुटे हैं. लक्ष्य सपनों को साकार करने की है. 

आज अयोध्या में सब कुछ है. रेल और सड़क की बेहतरीन कनेक्टिविटी, इंटरनेशनल एयरपोर्ट और  चौड़ी सड़कें हैं. अयोध्या में  पवित्र सरयू के तट पर खूबसूरत घाट के साथ अब रिवर फ़्रंट बनाने की तैयारी है. काम अभी जारी है. साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  की हर अयोध्या यात्रा के दौरान वहां के विकास के लिए मिलने वाली सौगातों का सिलसिला भी जारी है. 

योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ को लोग बड़े महाराज कहते थे. वे राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वालों में से एक थे. सब लोगों ने मिल कर ही उन्हें इस आंदोलन का नेतृत्व दिया था. उनका बस एक ही सपना रहा. अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण हो. उनका ये सपना आज एक सच है. करीब 500 सालों बाद रामलला का मंदिर बनना संभव हुआ.

राम मंदिर से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना से गोरक्ष पीठ का संबंध रहा है. ये बात साल 1949 की है. तारीख़ 22 और 23 दिसंबर के दरम्यानी रात की है. तब अयोध्या में रामलला के प्रकटीकरण के समय योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु दिग्विजय  नाथ अयोध्या में ही मौजूद थे. यही नहीं 1986 में जब मन्दिर का ताला खुला तो योगी के गुरू महंत अवैद्यनाथ भी अयोध्या में मौजूद थे. राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से लेकर टेंट से बाहर निकाल कर रामलला को अस्थाई मंदिर में विराजमान करने तक योगी किसी ने किसी रूप में जुड़े रहे.

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