JNU में BBC डॉक्यूमेंट्री दिखाने के विवाद में 3 शिकायत दर्ज, दिल्ली पुलिस ने कहा- 'नहीं हुई पत्थरबाजी'

कुछ दिन पहले ही जेएनयू ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाने का फैसला किया था, लेकिन JNUSU ने ऐलान कर दिया कि वो अपनी तरफ से छात्रों के लिए डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करेगा. इसके बाद विवाद हुआ.

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दिल्ली पुलिस ने जेएनयू मामले की जांच शुरू कर दी है.

नई दिल्ली:

जेएनयू विवाद को लेकर दिल्ली पुलिस को तीन शिकायतें मिली हैं. दो शिकायत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दी है और एक शिकायत जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईसी घोष ने की है. इस मामले में आईसा के एक छात्र की एमएलसी बनी है, जो कि पुलिस को मिल गई है. एमएलसी में छात्र को कोई अंदरूनी चोट नहीं लगने की बात कही गई है. पुलिस ने शिकायतें ले ली है और मामले की जांच शुरू कर दी है.

आईसी घोष ने कहा कि अभी उसने प्रारंभिक शिकायत दी है. वह विस्तार से लिखित शिकायत बुधवार दोपहर बाद देगी. वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जेएनयू में पत्थरबाजी हुई होती तो किसी को चोट लगती. इस मामले में किसी की एमएलसी नहीं बनी है. दिल्ली पुलिस जेएनयू के बाहर तैनात है और स्थिति को नियंत्रण में रखा हुआ है.

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने मंगलवार (24 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की घोषणा की थी. आरोप है कि इस दौरान छात्रसंघ कार्यालय में बिजली काट दी गई और पथराव हुआ.

बीबीसी डॉक्‍यूमेंट्री देख रहे स्‍टूडेंट्स पर पथराव के मामले में छात्रों ने शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस थाने तक मार्च किया. कुछ दिन पहले ही जेएनयू ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाने का फैसला किया था, लेकिन JNUSU ने ऐलान कर दिया कि वो अपनी तरफ से छात्रों के लिए डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करेगा. इसके बाद विवाद हुआ.

बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डाक्यूमेंट्री सीरीज गुजरात दंगों पर आधारित है, जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पीएम मोदी की आलोचना वाली BBC की डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश दिया था. जेएनयू प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि अगर डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष आयशी घोष ने दावा किया कि जेएनयू प्रशासन ने बिजली काटी, साथ ही इंटरनेट भी बंद कर दिया. हालांकि बाद में ऑफिस में बिजली और इंटरनेट बहाल कर दिया गया. वाम दल समर्थित स्‍टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्‍यक्ष आयशी घोष ने कहा था, "हम क्‍यूआर कोड का इस्‍तेमाल करके मोबाइल के जरिए डॉक्‍यूमेंट्री देखेंगे." जबकि जेएनयू प्रशासन ने डॉक्‍यूमेंटी की स्‍क्रीनिंग की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.

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'ब्लैकआउट' के बाद, छात्र कैंपस के अंदर एक कैफेटेरिया पहुंचे, जहां उन्होंने अपने सेलफोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी. आरोप है कि जब वे डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, तब झाड़ियों के पीछे से उन पर कुछ पत्थर फेंके गए.

छात्रसंघ ने जेएनयू प्रशासन को सवाल किया था कि डॉक्यूमेंट्री दिखाकर आखिरकार वे विश्वविद्यालय का कौन से नियम का उल्लंघन कर रहे हैं? छात्रसंघ ने कहा कि वो इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाकर सांप्रदायिक सद्भाव खराब नहीं कर रहे हैं. 
इसके बाद एबीवीपी और बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्‍टूडेंट्स ने मार्च निकाला. वाम दल समर्थकों ने दो स्‍टूडेंट्स को पकड़ा.  उनका दावा है कि ये एबीवीपी से संबंध रखते हैं और ये पथराव कर रहे थे.

भारत सरकार ने BBC की गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार है.

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वहीं, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भी इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध किया है. एक इंटरव्यू में सुनक ने कहा- 'BBC की डॉक्यूमेंट्री में जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी को दिखाया गया है, मैं उससे कतई सहमत नहीं हूं. ब्रिटिश सरकार की स्थिति स्पष्ट है. हम दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाली हिंसा को बर्दाश्त नहीं करते.'

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