कर्नाटक में शराब की ऑनलाइन बिक्री व डिलीवरी की मांग वाली याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट में तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने शराब की ऑनलाइन बिक्री को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि जब तक कोई कानून नहीं होगा, इस तरह शराब की ऑनलाइन बिक्री की इजाजत नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल कानून में कोई प्रावधान नहीं है, जो शराब को दुकान से बाहर ट्रांसपोर्ट कर उपभोक्ता तक पहुंचाने की इजाजत देता हो. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में सरकार को प्रतिवेदन दे सकता है. इस याचिका को खारिज करना सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने के रास्ते में नहीं आएगा.
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बता दें कि कर्नाटक सरकार ने भी शराब की ऑनलाइन बिक्री की मांग वाली याचिका का विरोध किया था. वहीं बार की ओर से कहा गया कि ये दुनिया भर में हो रहा है. हम ऑनलाइन ऑर्डर लेंगे और होम डिलीवरी करेंगे. हम कम उम्र वाले को शराब की डिलीवरी नहीं करेंगे. लेकिन जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है, जो दुकान वालों को लोगों के घर तक शराब ट्रांसपोर्ट करने की इजाजत देता हो. इसलिए हम हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देंगे.
फरवरी 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा था. सितंबर 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में उपभोक्ताओं को शराब की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. अदालत ने अन्य सेवाओं के साथ अपने ग्राहकों को सेमी-क्लोज्ड प्रीपेड भुगतान साधन (मोबाइल वॉलेट) की पेशकश करने में लगी कंपनी हिप बार प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया था.
न्यायमूर्ति एस सुजाता ने 13 सितंबर के आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी कर्नाटक उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1965 के तहत इस तरह का लाइसेंस या अनुमति देने के लिए उपलब्ध प्रावधानों को सक्षम करने के अभाव में व्यवसाय जारी रखने की हकदार नहीं है. हिप बार ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया था कि खाद्य और सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा जारी लाइसेंस वितरक, आपूर्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर के व्यवसाय को जारी रखने के लिए प्रदान करता है, जिसमें (1) से संबंधित खाद्य व्यवसाय करने की अनुमति है. खाने के लिए तैयार नमकीन; ( 2 ) पेय पदार्थ, डेयरी उत्पादों को छोड़कर. दिनांक 01.08.2017 को प्राधिकरण का एक पत्र प्रस्तुत किया जो कि कुछ शर्तों के साथ हिप बार द्वारा बीयर, वाइन और एलएबी (कम अल्कोहल पेय) सहित भारतीय और विदेशी शराब के ऑनलाइन ऑर्डर प्रसंस्करण और वितरण के लिए आयुक्त, आबकारी विभाग द्वारा जारी किया गया था.
यह आरोप लगाया गया है कि एक क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल द्वारा कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट किए जाने के बाद कारण दिखाने का अवसर प्रदान किए बिना पत्र को अचानक वापस ले लिया गया था. हिप बार ने कहा कि उसे आबकारी विभाग द्वारा 15 नवंबर, 2018 को एक हलफनामा देने के लिए मजबूर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसने अपने अधिकारों के पूर्वाग्रह के बिना शराब की ऑनलाइन डिलीवरी को अक्षम कर दिया है. बाद में, इसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, यह घोषित करने की प्रार्थना की कि उसे शराब की ऑनलाइन बिक्री के लिए किसी लाइसेंस या अनुमति की आवश्यकता नहीं है, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.