लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अपने चरम पर है. देश में यह चुनाव सात चरणों में होने वाले हैं. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटें हैं. इन सभी पांचों सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान 19 अप्रैल को होगा. साल 2014 और 2019 में यह पांचों लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं, लेकिन क्या इस बार एक या दो सीटों पर कुछ बदलाव के संकेत मिल रहे हैं? इस राज्य में रैलियों का दौर चल रहा है. उम्मीदवार, मुख्यमंत्री रैलियां कर रहे हैं और कल तो प्रधानमंत्री खुद ऋषिकेश पहुंचने वाले हैं. वे यहां पर रैली करेंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऋषिकेश पहुंचे हैं. वे यहां इंतजामों का जायजा ले रहे हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तीन महीनों में 45 रैलियां कर चुके हैं और 19 तारीख को वोटिंग से पहले 20 रैलियां और करेंगे. इस लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की सीटों में बदलाव के संकेत के बारे में पूछने पर धामी ने कहा कि, कोई बदलाव नहीं है. मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्तराखंड की पांचों सीटें 2014 में जीते थे, 2019 में भी जीते थे और 24 में भी पांचों सीटें जीतेंगे. कोई बदलाव नहीं होगा बल्कि मार्जिन बढ़ेगा.
उत्तराखंड में आप UCC लेकर आए, यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. उत्तराखंड यूसीसी लाने वाला देश का पहला राज्य बन गया. आपने चीटिंग को रोकने के लिए भी कदम उठाए हैं. यह आपके लिए एक उपलब्धि रही. आपकी सरकार का जो योगदान है उत्तराखंड में इन सीटों के लिए, उसे आप किस तरह से देख रहे हैं? इस सवाल पर धामी ने कहा कि, डबल इंजन की सरकार ने बहुत सारे निर्णय लिए हैं और प्रधानमंत्री जी के दस साल के कार्यकाल में उत्तराखंड को अनेक उपलब्धियां मिली हैं, अनेक विकास के काम मिल रहे हैं. और जोड़ा जाए तो जितना आजादी के बाद के सब सालों में हुआ, पिछले दस सालों में उससे ज्यादा काम हुआ है. दो लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाएं स्वीकृत हुई हैं. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं.
उत्तराखंड में चुनाव से पहले यूसीसी लागू क्यों नहीं हुआ? सवाल पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि, विधेयक पारित हो गया है और विधेयक पारित होने के बाद उसकी औपचारिकताएं होती हैं, राष्ट्रपति को भेजा था. राष्ट्रपति महोदय ने भी उसमें हमको स्वीकृति दे दी है. चूंकि एक्ट लागू करने के लिए कुछ और भी धरातल पर काम करने होते हैं, कुछ व्यवस्थाएं बनानी होती हैं, उसके लिए हमने कमेटी बनाई है. हमारे मुख्य सचिव हैं शत्रुघन सिंह जी, वही उस कमेटी को देख रहे हैं और जल्दी व्यवस्थाएं बन जाएंगी तो उसको हम लागू करेंगे.
डेमोग्राफिक बदलाव को एक चुनौती बताया जा रहा है. आपने देखा हल्द्वानी में जो हुआ, उसके बाद हमने सुना है पलायन हो रहा है, उत्तर उत्तर प्रदेश से पलायन हो रहा है. यह एक चुनौती है आपके लिए? इस प्रश्न पर पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, यह चुनौती है इसलिए हमने यहां पर जो अतिक्रमण था उसको हमने हटाया है. धर्मांतरण का हम कानून लेकर आए हैं और हमने इसमें दस साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया है. हल्द्वानी में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था और मैं कहूंगा कि जिन लोगों ने भी हल्द्वानी में आगजनी, मारपीट और कहीं ना कहीं दंगा करने का प्रयास किया उनके खिलाफ कानून ने सख्ती से काम किया है. हम दंगारोधी कानून भी उत्तराखंड में लेकर आए हैं कि अब कोई भी दंगा करेगा, इस प्रकार की मारपीट, सरकारी संपत्ति, निजी संपत्ति का नुकसान पहुंचाएगा तो उसकी भरपाई भी उसी दंगाई से की जाएगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड शांत प्रदेश है. सब लोग एक-दूसरे के साथ यहां प्रेमपूर्वक रहते हैं, भाईचारे से रहते हैं. यहां पर इस प्रकार की आगजनी, मारपीट का कोई स्थान नहीं है.
लेकिन आपने अभी दंगों की बात कही है. बाबा तरसीम का एनकाउंटर हुआ है कल ही, तो कहा जा रहा है कि योगी के बाद धामी. क्या एनकाउंटर में बिल्कुल उत्तर उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड भी होगा? सवाल के जवाब में धामी ने कहा कि, देखिए उत्तराखंड अपराधियों के लिए कोई शरण स्थली नहीं है कि कहीं से भी आए, अपराध करें... कानून उनके खिलाफ सख्ती से काम करेगा और कोई भी इस प्रकार से कानून अपने हाथ में लेगा, अपराध करने की सोचेगा तो उत्तराखंड में उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. कल पुलिस के लोगों ने अच्छा काम किया है. क्योंकि एक ऐसा कांड हुआ था वहां पर जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी. ऐसे लोग केवल अपराधी होते हैं, वे समाज के दुश्मन होते हैं, इसलिए उत्तराखंड की पुलिस इनके लिए सख्त रवैया अपनाएगी. हमारी पुलिस का नाम मित्र पुलिस जरूर है, लेकिन वह मित्र पुलिस अच्छे लोगों के लिए है. बाहर से आने वाले हमारे अतिथियों के लिए है. यहां के जो गणमान्य हैं उनके लिए है. लेकिन जो गुंडे, बदमाश, अपराधी हैं, उनके लिए तो पुलिस है.
जो अग्निवीर योजना आई है हमारे जवानों के लिए, बहुत तादाद में हमारे सैनिक बल उत्तराखंड के हैं, पूर्व सैनिक हैं. किस तरह से उसे लिया जाए? इस पर धामी ने कहा कि, उत्तराखंड हमारा देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी है. यहां के लोगों का सेना में बहुत योगदान है. लोग देश की आजादी से पहले भी और बाद में भी लगातार अपनी सेवाएं देते रहे हैं. 1734 लोगों ने अपने देश की रक्षा के लिए शहादत दी है. उनकी स्मृति में हम देहरादून में सैन्य धाम का निर्माण कर रहे हैं और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने उस सैन्य धाम को उत्तराखंड के पांचवे धाम की संज्ञा दी है. तो अग्निवीर योजना के बारे में राजनाथ सिंह जी का माननीय रक्षा मंत्री जी का बयान आया था और उन्होंने बहुत स्पष्टता कहा है कि उसमें कहीं पर संशोधन सुधार की जो भी गुंजाइश होगी... लेकिन अग्निवीर योजना सभी के लिए है, अवसर मिले, लोग सेना में जाएं, सेना के अनुशासन को सीखें.. तो एक अच्छा काम हुआ है. कुछ लोगों ने उसको राजनैतिक रूप भी देने का प्रयास यहां भी किया जब यह योजना आई थी. लेकिन यहां के सैनिकों ने खुद आगे बढ़कर उसका स्वागत किया. हमने भी कहा कि हम राज्य के अंदर भी जितनी सेवाएं होंगी अगर अग्निवीर की सेवा करके लोग आएंगे तो उनको हम प्राथमिकता देंगे.
उन्होंने कहा कि, उत्तराखंड की जनता और देश की जनता जानती है कि सैनिकों का मनोबल प्रधानमंत्री मोदी जी के बनने के बाद बढ़ा है. उनके लिए सुविधाएं बढ़ी हैं. बर्फ में काम करने वाले, माइनस डिग्री तापमान में काम करने वाले हमारे सैनिक थे. मैंने खुद देखा है कि उनके हाथ-पैर काटने तक की स्थिति आती थी, गैंगरीन हो जाता था. उनको अच्छे बूट नहीं मिलते थे, अच्छे जैकेट नहीं मिलते थे, अच्छे उपकरण नहीं मिलते थे. खाने की अच्छी सुविधाएं नहीं होती थीं, अच्छे त्रिपाल नहीं होते थे. यह सब व्यवस्थाएं मोदी जी ने शुरू की हैं. मैं एक सैनिक का बेटा हूं, इसलिए मैं सेना को बहुत नजदीक से जानता हूं. मैंने देखा है. सेना के साथ मैं पला-बढ़ा हूं.
उन्होंने कहा कि, वन रैंक और वन पेंशन जो 40 सालों से सेना के लोगों की मांग थी, कांग्रेस के समय में कभी वो पूरी नहीं हुई, हमेशा उसको लटकाते रहे, हमेशा टालते रहे. इस बहुप्रतीक्षित मांग को भी लागू करने का काम प्रधानमंत्री मोदी के कालखंड में हुआ है. इसलिए सैनिक जानते हैं, सेना के लोग भी जानते हैं, उत्तराखंड के भी लोग जानते हैं, मोदी जी सेना के साथ रहे हैं, सेना के लिए हमेशा काम करते रहे हैं और उत्तराखंड देवभूमि है यहां से उनका लगाव है. तो वे जो भी योजना लाएंगे उत्तराखंड राज्य का उसमें हित होगा.
अब कांग्रेस के इतने नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. एक तरफ बीजेपी के नेताओं को संभालना, फिर कांग्रेस के नेताओं को संभालना, कैसे संभालेंगे? सवाल पर पुष्कर सिंह धामी ने कहा, हमारे यहां एक पद्धति है, एक रीति नीति पद्धति है, उसके तहत काम होता है, इसलिए जो भी आ रहे हैं उनके लिए कोई ऐसी शर्त नहीं रखी. कुछ लोग पूछ रहे थे कि यहां भी किसी को डरा धमका के शामिल किया जा रहा है. यहां डराने-धमकाने की कोई जरूरत नहीं रही है बल्कि 15 हजार से ज्यादा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हुए. मैंने जरूर अपने प्रदेश अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि अब आप जो भी शामिल करें नए लोगों को, उसका कोई ना कोई क्राइटेरिया बना लें.
प्रधानमंत्री अपने संबोधन में लगातार कह रहे हैं कि जो भी विकास अब तक हुआ है वह तो फुलझड़ी है, दिवाली अभी बाकी है, स्टार्टर है, पूरी थाली बाकी है. बताइए क्या है आगे के लिए योजनाएं? प्रधानमंत्री ने पूरे देशवासियों से कहा है कि अभी तो टेलर है पिक्चर बाकी है. मतलब कि अभी बहुत बड़े-बड़े काम होने हैं, देश का विकास होना है. देश हमारा आगे चलकर विकसित भारत बनना है. देश हमारा दुनिया का सिरमौर बनना है और तीसरी अर्थव्यवस्था बनना है. यह सब फैसले होने हैं, और मोदी जी का, आप सब जानते हैं उनका काम करने का तरीका है. वे हर दिन नया सोचते हैं. अगर उन्होंने बहुत काम एक दिन कर लिया है तो अगले दिन आराम करना है, यह उनकी कार्य पद्धति में नहीं है, कार्य संस्कृति में नहीं है.
जो जोशी मठ का मसला है उसको लेकर क्या विचार है? मुख्यमंत्री धामी ने इस सवाल पर कहा कि, जोशी मठ की जो आपदा थी, हम सब लोगों को झकझोर देने वाली थी, लेकिन समय रहते उस पर जो भी किया जा सकता था वो सब हम लोगों ने किया है. प्रधानमंत्री ने, गृह मंत्री ने लगातार व्यक्तिगत रूप से उसकी मॉनीटरिंग की है, लगातार जानकारी ली है. हमने भी जो उनसे अनुरोध किया था 1700 करोड़ रुपये की धनराशि हमको केंद्र से भी मिली है. अच्छा पुनर्वास हो और जोशी मठ जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए हम राज्य में जितने भी हमारे ऐसे शहर हैं, उन शहरों की एक बार जो बीयरिंग कैपेसिटी है उसका भी आकलन कर रहे हैं. तो जोशीमठ हमारी प्राथमिकताओं में से है. जोशीमठ हमारा ऐसा पौराणिक स्थान है जो सामरिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. भगवान बद्री विशाल का द्वार है.
विपक्ष के मैनिफेस्टो को लेकर प्रधानमंत्री ने कई सवाल उठाए हैं. आप तो यूसीसी लेकर आ गए हैं, और वे माइनॉरिटी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. आप कैसे देख रहे हैं? क्या उत्तराखंड में कांग्रेस के पैर जमेंगे? इस पर धामी ने कहा, देखिए उत्तराखंड के लोगों ने पिछली बार जो विधानसभा का चुनाव हुआ था तो उस चुनाव से ठीक पहले भी इन्होंने कहा था कि देवभूमि उत्तराखंड में हम मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएंगे. और अबकी बार जो उनका घोषणा पत्र आया है उसमें भी उसी पूरी तुष्टिकरण की छाप दिखती है जो कांग्रेस ने देश की आजादी के बाद से लगातार किया है. वही काम उन्होंने तुष्टिकरण का इसमें भी दोहराया है, उसकी पुनरावृत्ति की है. जहां एक तरफ देश में हम कह रहे हैं हमने अपने राज्य में सबके लिए समान कानून लागू कर दिया, समान नागरिक संहिता को हम लेकर आए हैं, विधेयक को पारित कर दिया है और दूसरे यह मुस्लिम पर्सनल लॉ की बात कर रहे हैं. तो ऐसा लगता है कई बार कि यह घोषणा पत्र कांग्रेस का नहीं है उन्हीं का है मुस्लिम लीग वालों का.