कांग्रेस ने बीते दिनों संसद में पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंश को संसद की कार्यवाही से हटाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने रविवार को कहा कि बीजेपी नहीं चाहती कि संसद को "आम सहमति, सहयोग और सहमति से चले, वो चाहती है कि संसद में संघर्ष, अराजकता और टकराव दिखे ". कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार सभी चीजों को अपने काबू में रखने की सनक के साथ काम कर रही है. यही वजह है कि पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए भाषण को लेकर सरकार को इस तरह का कदम उठाना पड़ा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीते दिनों संसद में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने जो भाषण दिया उसमें कुछ भी ऐसा नहीं था जिससे किसी को ठेंस पहुंचे, या कुछ अशोभनीय या असंसदीय हो, बावजूद इसके इन नेताओं के भाषण के अंश को हटाया गया. संसद में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सहज और सम्मान के साथ तथ्यों को सामने रखा. आश्चर्य है कि भाषण से जिन अंशों को निकाला गया है उनमें पूछे गए प्रश्न भी शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा में ओम बिरला और राज्यसभा में जगदीप धनखड़ की यह जिम्मेदारी है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित हुए बगैर सदन में बहस कराएं.
सिंघवी ने कहा कि जब तक "संसद के दोनों सदनों के भीतर स्वतंत्र, स्पष्ट और निडर चर्चा की अनुमति नहीं दी जाती है, तब तक लोकतंत्र मौलिक और अपरिवर्तनीय रूप से अपूर्ण है". "यदि निडर चर्चा की ओर ले जाने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाए तो संसद शायद ही देश के प्रति जवाबदेह रह पाए.
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को सवाल किया था कि उनके भाषण के कुछ हिस्सों को संसद के रिकॉर्ड से क्यों निकाल दिया गया, क्या इसलिए क्योंकि उन्होंने अरबपति गौतम अडाणी के साथ अपने संबंधों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने हमले तेज कर दिए? पीएम मोदी के भाषण के दौरान संसद में प्रवेश करते हुए राहुल गांधी से पत्रकारों ने एक सवाल किया तो उन्होंने सवाल उठाया, "मेरे शब्द क्यों हटाए गए?" उन्होंने जाते समय कहा था कि प्रधानमंत्री सवालों के जवाब देने में विफल रहे.
राहुल गांधी ने कहा था कि मैंने उनसे सरल सवाल (गौतम अडाणी के साथ उनके संबंधों के बारे में) पूछे. उन्होंने उनका जवाब नहीं दिया ... यह सच्चाई का खुलासा करता है. यदि वे दोस्त नहीं होते, तो वे जांच के लिए सहमत होते. उन्होंने रक्षा क्षेत्र में शेल कंपनियों के आरोपों पर कुछ नहीं कहा."