कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने की संभावना बनी थीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका. प्रियंका ने NDTV से बातचीत में कहा कि इस 'साझेदारी' के मूर्त रूप नहीं ले पाने के कई कारण रहे. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कई कारणों के चलते ऐसा नहीं हो सकता. कुछ उनकी ओर से और कुछ हमारी ओर से. मैं इसके विवरण पर नहीं जाना चाहती. मोटे तौर पर कहूं तो यह कुछ मुद्दों पर सहमत होने में असमर्थता थी जो चर्चा को आगे बढ़ाने में बाधक बनीं. ' प्रियंका ने इस बात से इनकार किया कि इसका किसी 'बाहरी व्यक्ति' को कांग्रेस में लाने की अनिच्छा से कोई लेना-देना था. उन्होंने कहा, 'यदि ऐसा होता तो इतनी अधिक चर्चाएं ही नहीं होतीं. '
प्रियंका ने माना कि प्रशांत किशोर यानी PK के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाएं बनीं थीं लेकिन कुछ कारणों से यह नहीं हो सका. प्रशांत किशोर की तीनों गांधियों-सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियकां गांधी से पिछले वर्ष कई दौर की बातचीत हुई और चुनाव रणनीतिकार के राहुल गांधी के घर जाने की तस्वीरों को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया था. ऐसा कहा जा रहा था कि उनके कांग्रेस में प्रवेश की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है लेकिन ऐनमौके पर बात नहीं बनी. बातचीत के टूटने की रिपोर्ट्स प्रशांत किशोर की ओर से किए गए सिलसिलेवार 'हमलों' के रूप में सामने आई थी जिसमें उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कांग्रेस का नेतृत्व एक विशेष व्यक्ति का ही दैवीय हक़ नहीं है ख़ासकर तब, जब पार्टी पिछले 10 सालों में अपने 90% चुनाव हार चुकी है. विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीक़े से होने दें.
प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि BJP अब 'कई दशकों तक' कहीं नहीं जाने वाली है, और राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उन्हें इसका एहसास ही नहीं है. सोशल मीडिया पर हाल के एक सवाल-जवाब सेशन में प्रशांत किशोर ने कहा था कि आने वाले वर्षों में बीजेपी, भारतीय राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी चाहे वह जीते या चाहे हारे. ठीक उसी तरह जैसी स्थिति आजादी के बाद शुरुआती 40 वर्षों में कांग्रेस के लिए थी.2017 के चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ उनकी 'जुगलबंदी' पूरी तरह से फ्लॉप रही थी और अखिलेश यादव-कांग्रेस के गठजोड़ को पटखनी देते हुए कांग्रेस सत्ता में आई थी. हालांकि सब कुछ बुरा नहीं रहा था. कांग्रेस ने पंजाब में जीत हासिल की थी, जहां अमरिंदर सिंह को PK की मदद मिली थी.