कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi ) ने किसान आंदोलन (farmers Protest) के समर्थन में फिर आवाज बुलंद की है. उन्होने एक फेसबुक (facebook) पोस्ट में कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा मुद्दे का कोई समाधान नहीं है. सरकार को किसानों की बात माननी ही होगी. प्रियंका गांधी ने कहा,किसान आंदोलन में किसानों और सरकार के बीच बातचीत का शुक्रवार को 8 वां दौर खत्म हो गया. किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से यही कहा कि हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे. किसानों को आशा थी कि भाजपा सरकार अपनी कथनी के अनुसार किसानों का कुछ सम्मान तो करेगी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. वार्तालाप करने वाले मंत्री मीटिंग में देर से पहुंचे और बिल वापस न लेने की बात करते रहे.
किसान सरकार के रुख से नाराज़ हैं. प्रियंका ने कहा, आज दोपहर में मैं किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मिली पूरे दिन भर मैं भारत के हर कोने से इस किसान आंदोलन के समर्थन की आवाज सुनती रहती हूं.26 जनवरी 2020 को हम अपने गणतंत्र दिवस को मनाएंगे. जब भी हम इस देश के जन गण मन की बात करते हैं तो उसमें किसान का जिक्र आना जरूरी हो जाता है. पूरे भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक ताने - बाने का जिक्र किसान के बिना अधूरा है. भाजपा सरकार आज जिस "आत्मनिर्भर" के नारे का झूठा ढोल पीट रही है, उस नारे को आत्मसात करते हुए किसानों ने हरित क्रांति में हिस्सा लेते हुए खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले भारत को आत्मनिर्भर बना दिया था.
आज इस पूरे आंदोलन में लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है. किसानों ने लाठियां खाईं, आंसू गैस के गोलों का सामना किया, वाटर कैनन को झेला, सरकारी तंत्र व मीडिया के एक हिस्से द्वारा फैलाई गई गलत सूचनाओं का जवाब दिया, ठंड झेली, बारिश में भी डटे रहे. किसान अपनी सालों की मेहनत का हक लुटने से रोकने के लिए डटे हैं. इस धरती पर मेहनत करके अन्न उगाकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज इन कानूनों की सच्चाई बताने सड़कों पर हैं.
आज इस देश को ये सोचना है कि किसान कानून किसानों के खेत से बनेंगे या भाजपा सरकार के उद्योगपति मित्रों के ड्रॉइंग रूम में. इस देश के किसानों ने, इस देश का कानून बनाने वाले कई सारे सांसदों व विधायकों ने व करोड़ों आमजनों ने किसानों पर थोपे जा रहे इन कानूनों को अलोकतांत्रिक व किसानों के खिलाफ बताया है.लेकिन भाजपा सरकार का व्यवहार देखकर पूरा देश हैरान है.कई जगहों पर किसानों को रोककर उन्हें धमकाया गया.नेहरू जी कहा करते थे कि सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन किसान नहीं.आज़ादी के नायक महात्मा गांधी जी, सरदार पटेल जी, जवाहर लाल नेहरू जी ने किसानों की आवाज का समर्थन किया और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए.