Explainer : संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी सरकार, यहां समझें पूरी प्रक्रिया

कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. बता दें कि सदन में केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों की जरूरत होती है.

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मणिपुर हिंसा को लेकर आज भी संसद में हंगामा

नई दिल्ली:

मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में गतिरोध के बीच कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा में मंजूर भी कर लिया गया. स्पीकर ने कहा है कि इस पर सबसे बात करके समय तय करेंगे. दरअसल, मणिपुर को लेकर आज पांचवें दिन भी संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है.  विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है. आज राज्यसभा के सभापति ने विपक्ष के सभी नोटिस खारिज करते हुए कहा कि नियम 176 के तहत चर्चा का प्रस्ताव पहले ही वो मंज़ूर कर चुके हैं. विपक्ष के भारी हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा.

इस प्रस्ताव की प्रक्रिया

  • अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ़ लोकसभा में लाया जा सकता है
  • कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है
  • अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी
  • अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर स्पीकर चर्चा के लिए दिन तय करते हैं
  • स्पीकर को 10 दिन के अंदर दिन तय करना ज़रूरी 
  •  सरकार को सदन पटल पर बहुमत साबित करना ज़रूरी

कब-कब आया अविश्वास प्रस्ताव?

  • साल 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव, तीन बार सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाई
  • साल 1990 में वीपी सिंह की सरकार के खिलाफ
  • साल1997 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार के खिलाफ
  • साल 1999 मेंअटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ
  • साल 2018 में पीएम मोदी सरकार के खिलाफ TDP का अविश्वास प्रस्ताव, 126 के मुक़ाबले 325 वोटों से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था.

इससे पहले लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दो नोटिस दिए गए थे. एक नोटिस कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया जबकि दूसरा नोटिस 9 सांसदों वाली BRS के नमा नागेश्वर राव ने दिया था, हालांकि इस नोटिस के लिए 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी है और BRS विपक्षी मोर्चे में भी शामिल नहीं है. इस बीच कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी करके आज सदन में मौजूद रहने को कहा.

गौरतलब है कि मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही मणिपुर हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में पक्ष और विपक्ष के बीच हंगामा जारी है. विपक्ष मणिपुर हिंसा पर जहां पीएम मोदी से बयान देने की मांग कर रहा है वहीं केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बहस को तैयार है लेकिन उनका कहना है कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी नहीं गृहमंत्री अमित शाह सदन में बयान देंगे. 

बता दें कि स्पीकर के साथ सर्वदलीय बैठक में बहुजन समाज पार्टी और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का स्टैंड बाकी विपक्षी दलों से अलग रहा है. इन दोनों दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाब दें या न दें लेकिन मणिपुर पर चर्चा के दौरान वो सदन में मौजूद रहें. पीएम को अगर लगे कि कुछ बोलना चाहिए तो बोलें, अगर नहीं लगे तो न बोलें. राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किए गए आप सांसद संजय सिंह संसद परिसर में ही विरोध प्रदर्शन के दौरान बैठे हुए हैं. संजय सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? हम केवल संसद में आकर इस पर बोलने की मांग कर रहे हैं. संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाना हमारी जिम्मेदारी है."

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