मिलकर आतंकवाद को जड़ से खत्म करने, उसके समर्थकों की जवाबदेही तय करने की जरूरत: राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को मिलकर समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का आतंकवादी कृत्य या किसी भी रूप में इसका समर्थन मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध है और शांति एवं समृद्धि इस खतरे के साथ नहीं रह सकते.

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राजनाथ सिंह के बयान को पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में और चीन को संदेश के रूप में देखा जा रहा है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों का आतंकवाद के समर्थकों की जवाबदेही तय करने का आह्वान किया और क्षेत्रीय सहयोग की रूपरेखा तैयार करने की वकालत की, जो समूह के देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे.

सिंह के बयान को पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में और चीन को संदेश के रूप में देखा जा रहा है. एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू की मौजूदगी में कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक ऐसे मजबूत ढांचे की कल्पना करता है, जो ‘‘सभी सदस्य देशों के वैध हितों का ध्यान रखते हुए उनकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करे.''

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों के आधार पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वास रखता है और इसलिए वह एससीओ सदस्यों के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करता है.

सहयोग के लिए एक क्षेत्रीय रूपरेखा के तहत सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत के संदर्भ में सिंह के बयान भारत और चीन के बीच तीन साल से जारी सीमा विवाद के बीच आये हैं.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग नहीं लिया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रक्षा मामलों पर विशेष सहायक ने डिजिटल तरीके से इसमें भाग लिया.

सिंह ने आतंकवाद को मिलकर समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का आतंकवादी कृत्य या किसी भी रूप में इसका समर्थन मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध है और शांति एवं समृद्धि इस खतरे के साथ नहीं रह सकते.

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उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई देश आतंकवादियों को शरण देता है, तो वह दूसरों के लिए ही नहीं, अपितु अपने लिए भी खतरा पैदा करता है. युवाओं को कट्टर बनाना केवल सुरक्षा की दृष्टि से ही चिंता का कारण नहीं है, बल्कि यह समाज की सामाजिक आर्थिक प्रगति के मार्ग में भी बड़ी बाधा है.''

सिंह ने कहा, ‘‘अगर हम एससीओ को मजबूत और अधिक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय समूह बनाना चाहते हैं, तो हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने की होनी चाहिए.''

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रक्षा सचिव गिरिधर अरामने ने संवाददाताओं से कहा कि सभी सदस्य राष्ट्र सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में सहमति पर पहुंचे, जिनमें आतंकवाद से निपटने और विभिन्न देशों में सुरक्षा समेत अनेक विषय हैं.

उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देश अपने इस बयान में एकमत हैं कि आतंकवाद की इसके सभी रूपों में निंदा होनी चाहिए और इसे समाप्त किया जाना चाहिए.

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सिंह ने सामूहिक समृद्धि सुनिश्चित करने के अपने दृष्टिकोण के बारे में बताते हुए एससीओ सदस्य देशों से ठोस प्रयास करने का आग्रह किया, ताकि आज की बहुपक्षीय दुनिया में असीमित संभावनाओं वाले इस क्षेत्र की मानसिकता ‘किसी एक के नुकसान से दूसरे का लाभ होने' से ‘किसी एक के लाभ से बाकी सब को भी लाभ होने' में बदल सके.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने हमेशा ‘ मिलकर साथ चलने और मिलकर आगे बढ़ने' के सिद्धांत का पालन किया है. हर युग की एक विशेष सोच होती है और मौजूदा दौर की सोच यह है कि ‘बड़े लाभ के लिए मिलकर काम करने' की जरूरत है.''

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बैठक के अंत में सभी सदस्य देशों ने एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये, जिसमें क्षेत्र को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने की सामूहिक इच्छाशक्ति प्रकट की गयी.

सिंह ने प्रशिक्षण और उत्पादों के सह-निर्माण एवं सह-विकास के माध्यम से एससीओ के सदस्य देशों की रक्षा क्षमता निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता जताई.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौतियां किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं, इसलिए भारत साझा हितों को ध्यान में रखते हुए रक्षा साझेदारी के क्षेत्र में सामूहिक पहल के साथ आगे बढ़ रहा है.

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में चीन में हुए एससीओ के सम्मेलन में रखी गयी ‘सिक्योर' की अवधारणा को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शब्द ‘सिक्योर' का हर अक्षर क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को झलकाता है.

सिंह ने अपने भाषण में कहा कि आज दुनिया का बड़ा हिस्सा खाद्य संकट से गुजर रहा है और एससीओ के सदस्य देशों को एकीकृत योजना के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि इससे एससीओ पूरी दुनिया के लिए आदर्श बन जाएगा. सिंह ने अपने वक्तव्य के आरंभ में एससीओ को मजबूत क्षेत्रीय संगठन बताया और कहा कि भारत इसे सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के अहम निकाय के रूप में देखता है.

रक्षा मंत्री ने अपने समापन वक्तव्य में क्षेत्र में समकालीन चुनौतियों से निपटते हुए समृद्धि लाने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया. भारत ने समूह के अध्यक्ष के तौर पर बैठक की मेजबानी की. एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है तथा यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा है.

एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में की थी. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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