- MP भीम सिंह ने संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने के लिए RS में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया.
- भीम सिंह ने 1976 के 42वें संविधान संशोधन द्वारा ये शब्द जोड़े जाने को मुस्लिम तुष्टीकरण बताया.
- उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने इन शब्दों को जोड़ने पर व्यापक चर्चा कर इसे अनावश्यक समझा था.
बीजेपी सांसद भीम सिंह ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने के लिए राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत किया. बीजेपी सांसद ने शुक्रवार को दो निजी विधेयक प्रस्तुत किए. एक विधेयक में उन्होंने नियोजित शहरी विकास के लिए माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय प्राधिकार के गठन की मांग की. विपक्षी दलों के विरोध के बीच प्रस्तुत अपने दूसरे विधेयक के जरिए उन्होंने भारत के संविधान से 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग की.
ये भी पढ़ें- DGCA ने इंडिगो CEO को भेजा शोकॉज नोटिस, 24 घंटे में जवाब नहीं देने पर होगी कार्रवाई
मूल संविधान में ये दोनों शब्द नहीं थे
डॉ सिंह ने कहा कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित किया गया जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ. डॉ सिंह ने कहा कि इस मूल संविधान में ये दोनों शब्द नहीं थे. ये दोनों शब्द काफी बाद में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1976 में इमर्जेंसी के दौरान 42 वें संविधान संशोधन के जरिए संविधान में जोड़ दिए गए हैं जो कि बिल्कुल अनावश्यक हैं. डॉ सिंह ने कहा कि इंदिरा जी इन दो शब्दों को विदेशी प्रभाव और मुस्लिम तुष्टीकरण के तहत किया गया था.
अपनी पीढ़ियों को बाध्य नहीं कर सकते
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि संविधान निर्माताओं की नजरों से ये दोनों शब्द ओझल रह गए थे. उन्होंने इन शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ने या नहीं जोड़ने को लेकर व्यापक चर्चा की थी. वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इन शब्दों को जोड़ना बिल्कुल गैर जरूरी है. स्वयं डॉ अंबेडकर ने कहा कि भारत प्राचीन काल से सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत का पालन करता आया है और इस प्रकार धर्मनिरपेक्षता तो भारत का स्वभाव है.
डॉ अंबेडकर ने समाजवाद शब्द के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को किसी खास आर्थिक दर्शन अपनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. उन्होंने साफ कहा कि संविधान में न 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द जोड़ने की जरूरत है और न 'समाजवाद' जोड़ने की.
समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को जुड़े रहने देना गलत
डॉ सिंह ने कहा कि जब हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने व्यापक चर्चा के बाद इन शब्दों को संविधान में जोड़ना उचित नहीं समझा था, तब काफी बाद में इन्हें जोड़ देना मुनासिब नहीं था. अब भी इन्हें जुड़े रहने देना बिल्कुल गलत है. लिहाजा इन दोनों शब्दों को विलोपित करने के मकसद से मैंने संविधान संशोधन निजी विधेयक प्रस्तुत किया है जिसे सदन ने स्वीकृत कर लिया है. इस पर आगे के सत्रों में चर्चा होगी और समुचित निर्णय लिया जाएगा.













