कश्मीर में लश्कर का मुखौटा है TRF, अमेरिका की टेरर लिस्ट में आए आतंकी संगठन की पूरी कुंडली पढ़िए

The Resistance Front: लश्कर ए तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट को आईएसआई ने कश्मीर में खास ऑपरेशन के लिए तैयार किया है. टीआरएफ के आतंकी हिट एंड रन के बाद पहाड़ों में ठिकाना बनाकर लंबे समय तक रहने में ट्रेंड किए गए हैं.

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The Resistance Front TRF
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  • TRF को अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित करते हुए प्रतिबंधित किया
  • पहलगाम हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली थी
  • टीआरएफ के आतंकी हिट स्क्वॉड हिट एंड रन के बाद पहाड़ों में छिपने में माहिर
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नई दिल्ली:

What is The Resistance Front: अमेरिका ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front TRF) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है.इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. टीआरएफ की स्पेशल हिट स्क्वॉड हमलाकर हिट एंड रन की रणनीति के तहत पहाड़ों में छिपने में माहिर है. इसकी फॉल्कन स्क्वॉड को ऐसे हमलों का टॉस्क सौंपा जाता है. लश्कर ए तैयबा के मुखौटा संगठन टीआरएफ ने इसी तरह पहलगाम हमला किया था. पहाड़ों की ओर भागे आतंकियों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. इसे जम्मू-कश्मीर में सरकार और सुरक्षाबलों के खिलाफ गुरिल्ला हमलों के लिए तैयार किया गया है. 

छह साल पहले बना लश्कर ए तैयबा का मुखौटा संगठन टीआरएफ
लश्कर ए तैयबा और उसके सरगना हाफिज मोहम्मद सईद पर शिकंजा कसने के बाद TRF अक्टूबर 2019 में हुई थी.इसे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में लाया गया. द रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा ने जम्मू-कश्मीर में स्पेशल ऑपरेशन के लिए तैयार किया था.पाकिस्तानी सेना और आईएसआई से टीआरएफ को मदद मिलती है. TRF का सरगना मुहम्मद अब्बास शेख और शेख सज्जाद गुल है, दोनों ही हाफिज सईद के खास भरोसेमंद हैं. 

स्पेशल हिट स्क्वॉड
लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पुराने आतंकी संगठनों की 'हाइब्रिड आतंकवाद' रणनीति का हिस्सा है. TRF ने स्पेशल हिट स्क्वॉड और फाल्कन स्क्वॉड तैयार की है, जो ऐसे खास आतंकी हमलों को अंजाम देती है. ऐसे आतंकी मॉड्यूल को टारगेट किलिंग करने के साथ ही जंगली और ऊंचे इलाकों में छिपने के लिए ट्रेंड किया गया है, ताकि सुरक्षाबलों के हत्थे वो न चढ़ पाएं.

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ऑटोमैटिक हथियारों से लैस हाईटेक आतंकी
TRF का फाल्कन स्क्वाड नया मॉड्यूल है.आईएसआई ने उसे आधुनिक ऑटोमैटिक हथियार मुहैया कराए हैं. ये स्क्वॉड हिट एंड रन की प्लानिंग और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ काम करता है. पहलगाम हमले भी ऐसे ही ओवरग्राउंड वर्कर्स और स्क्वॉड हिट के जरिये पाकिस्तान की शह पर अंजाम दिया गया. TRF को आईएसआई और लश्कर ए तैयबा कश्मीर में टारगेट किलिंग के लिए सीधे आदेश दे रही है. कश्मीर में पर्यटन और देसी-विदेशी टूरिस्ट के सैलाब से आतंकी बौखलाए हैं. 

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सोशल मीडिया से दुष्प्रचार
अल्पसंख्यकों और प्रवासी मजदूरों की हत्याओं के जरिये ये कश्मीर घाटी में दोबारा भय का माहौल पैदा करना चाहता है. कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के समर्थक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग में ये शामिल है. संगठन के आतंकी सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिये दुष्प्रचार और नेटवर्क बनाने में माहिर है. TRF के हाईटेक आतंकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे Telegram, WhatsApp, Signal के इस्तेमाल कर खुफिया एजेंसियों को चकमा देने में ट्रेंड हैं.

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आतंकियों का हाइब्रिड मॉडल
TRF ने  आतंकवाद के लिए हाइब्रिड मॉडल अपनाया है. यानी स्थानीय युवाओं को अस्थायी तौर पर हथियार मुहैया कराने के साथ उन्हें स्लीपर सेल में तब्दील किया जाता है. NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने TRF के खिलाफ कई अभियानों को नाकाम किया है. संगठन के कई आतंकी Encounter में मारे जा चुके हैं या गिरफ्तार किए गए हैं.

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बड़ी घटनाओं को दिया अंजाम

1. 2020 में कुपवाड़ा और बारामुला में टारगेट किलिंग
2. 2021 में कश्मीरी पंडितों और सिख समुदाय के खिलाफ हत्याएं
3. TRF के नाम पर RSS कार्यकर्ता और BJP नेताओं की हत्याएं
4. 2022-23 में श्रीनगर और पुलवामा में हुए आतंकी हमले

इंटरनेशनल नेटवर्क
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से TRF को समर्थन मिलता है. TRF, लश्कर-ए-तैयबा की ही रणनीति को लोकल नाम और लोकल चेहरा देकर आगे बढ़ाता है. ताकि भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित किया जा सके. TRF को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत 2023 में आतंकी संगठन घोषित किया गया था. 

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