महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर की पीक खत्म हो चुकी है : स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे

महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. बीते 25 दिनों में सबसे कम मामले रविवार को दर्ज किए गए हैं. ये पीक की तुलना में करीब 50 फीसदी कम हैं. अस्पतालों में 92 से 95 फीसदी बेड खाली हैं.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins

आईएमए का कहना है पीक कमज़ोर इसलिए पड़ी क्यूंकि सरकारी गाइडलाइन को मानते हुए टेस्टिंग में भारी गिरावट आई है.

मुंबई:

महाराष्ट्र में तीसरी लहर की पीक खत्म हो चुकी है. ये कहना है राज्य के स्वास्थ्य मंत्री  राजेश टोपे का. महाराष्ट्र में पीक की तुलना में 50 फीसदी तो मुंबई में 90 फीसदी से भी ज़्यादा मामले घटे हैं. हालांकि आईएमए का कहना है पीक कमज़ोर इसलिए पड़ी क्यूंकि सरकारी गाइडलाइन को मानते हुए टेस्टिंग में भारी गिरावट आई है. संक्रमण बिना लक्षण वाला है, इसलिए लोग भी टेस्टिंग से बच रहे हैं. वहीं नियोकोव को लेकर एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि चिंता की बात नहीं. स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के नए वेरियंट ओमिक्रॉन की वजह से शुरू हुई तीसरी लहर का पीक निकल चुका है और मध्य मार्च तक ये लहर खत्म हो जाएगी.

महाराष्‍ट्र में 6 अक्‍टूबर के बाद आज सबसे ज्यादा 103 मरीजों की कोरोना वायरस से मौत

बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. बीते 25 दिनों में सबसे कम मामले रविवार को दर्ज किए गए हैं. ये पीक की तुलना में करीब 50 फीसदी कम हैं. अस्पतालों में 92 से 95 फीसदी बेड खाली हैं. आईसीयू और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीज सिर्फ 1 फीसदी ही हैं. वहीं जिस मुंबई शहर से तीसरी लहर की शुरुआत दिखी, वहां पीक की तुलना में अब मामले 93 फीसदी घट चुके हैं. शहर में संक्रमण दर 30 फीसदी से घटकर 2.5 फीसदी पर आ चुकी है.

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का मानना है कि मामलों में तेजी से गिरावट के कई दूसरे मुख्य कारण हैं. आईएमए महाराष्ट्र के प्रवक्ता डॉ अविनाश भोंडवे का कहना है कि सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक टेस्टिंग कम हुई है. साथ ही ज़्यादातर लोग बिना लक्षण वाले हैं, इसलिए टेस्ट नहीं करवा रहे हैं और घर में खुद ठीक हो रहे हैं. पीक कमज़ोर हुई है लेकिन खत्म हुई है, यह नहीं कह सकते.

Advertisement

कोविड-19 की तीसरी लहर में नवजात शिशुओं में हो रही है ब्लड क्लॉटिंग की समस्या

इधर नए वेरिएंट नियोकोव को लेकर वुहान के वैज्ञानिकों की रिसर्च पर कहा जा रहा है कि चिंता की बात नहीं है, क्यूंकि नियोकोव चमगादड़ के अंदर पाया जाता है और इसके इंसानों में फैलने की क्षमता कम है. एसएल रहेजा हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर प्रमुख डॉ संजीत ससीधरण का कहना है कि नियोकोव इंसानों के लिए खतरा है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए अभी और स्टडी की जरूरत है.

Advertisement

कोरोना केस में कमी के बीच महाराष्ट्र में फिर खुले स्कूल, गरीब छात्रों को मिली राहत

Advertisement
Topics mentioned in this article